पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने अदालत द्वारा दिए गए फैसले के अनुसार, जोधपुर के 40 नजरबन्दियों के मुआवजे के बराबर बाकी 325 अन्य नजरबन्दियों को भी मुआवजा देने का ऐलान किया है।
कैप्टन ने कहा कि मुआवजे की आधी रकम के लिए वे केंद्र सरकार से भी अपील करेंगे। अमृतसर कोर्ट द्वारा 40 नजरबंदियों को मुआवजा देने के फैसले के बाद तकरीबन 4.5 करोड़ रुपए के मुआवजे में से पंजाब ने अपने हिस्से के 50 प्रतिशत 2.16 करोड़ के चेक गुरुवार को यहां वितरित किए।
1984 में ब्लू स्टार ऑपरेेशन के दौरान 365 बेकसूर लोगों को गिरफ्तार करके जोधपुर की जेल में नजरबंद कर दिया था, जहां से इनको 1986 में रिहा किया गया था । उस समय से तकरीबन 100 की मौत हो गई है । इनमें से 40 व्यक्ति अदालत चले गए थे और सात की इस समय के दौरान मौत हो गई थी। नजरबन्दियों को चेक वितरित करते हुए मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिदंर सिंह ने कहा कि जो अदालत नहीं गए वह भी मुआवजे के हकदार हैं सरकार उनको बराबर का भुगतान करेगी।
उन्होंने उम्मीद प्रकट की कि बाकी 325 को यह मुआवजा देने के लिए केंद्र सरकार भी अपना हिस्सा डालने के लिए सहमत हो जाएग। उन्होंने कहा कि नजरबन्दियों द्वारा सहन किये दर्द के एवज में यह मामूली मुआवजा है। उन्होंने भरोसा दिलाया कि उनकी सरकार उनके बच्चों को नौकरी देने की मांग पर गौर करेगी। 1984 के बाद के उस दुखद समय को याद करते हुए मुख्यमंत्री ने नजरबन्दियों और उनके परिवारों से अपील की कि वह बीते समय को भूल आगे बढ़ें।
1984 में नजरबंद पट्टी के कांग्रेसी विधायक हरमिन्दर सिंह गिल ने जोधपुर के बाद नाभा जेल में काटे दिनों को याद करते हुए कहा कि उनके और उनके साथी कई नजरबंद साथियों के पास पहनने को तन पर कपड़े नहीं थे तब अमरिदंर सिंह ने अपने घर से उन्हें कपड़े भिजवाए थे। कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने अपनी पिछली सरकार के दौरान 2006 में हरेक को एक एक लाख दिया था। इससे पहले आज तक नजऱबन्दियों को दिया यह एक मात्र मुआवजा था। ऑपरेशन ब्लू स्टार के बाद अलग अलग समय के दौरान बनी अकाली दल की सरकारों के दौरान यह नजरबंदी कई बार पूर्व सरकारों के मुख्यमंत्रियों से मिले पर किसी ने कोई मदद नहीं की।
गिल ने कहा कि पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट में अपील करके केंद्र मुआवजे में देरी कर रहा है जबकि कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने इसमें भी दखल नहीं दिया। अगर वह ऐसा करते तो यह मामल फिर ठंडे बस्ते में चला जाना था। जोधपुर जेल में 11 साल नजरबंद रहे जसबीर सिंह घुमण ने कहा कि यह समय 20 साल की अदालती लड़ाई के बाद आया है और उस समय उनको मामला जीतने के लिए सात साल लगे थे।
नजरबंदी मुअावजे के लिए बहुत बार बादलोंं को मिले परन्तु अकाली नेताओं ने उनकी तकलीफों की ओर कोई भी ध्यान देने से मना कर दिया।ऑपरेशन ब्लू स्टार के बाद कैप्टन अमरिन्दर सिंह द्वारा कांग्रेस छोड़ने का जिक्र करते हुए घुंमण ने कहा कि मुख्यमंत्री ने सिख भाईचारे के साथ के लिए कांग्रेस का हाथ छोड़ दिया था।