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लॉकडाउन के दौरान पंजाब में महिला उत्पीड़न के मामले 21 फीसदी बढ़े, पुलिस ने तैयार की रणनीति

लॉकडाउन में एक महीने के दौरान पंजाब में महिलाओं के प्रति घरेलू हिंसा के 21 फीसदी मामले बढ़े हैं। पुलिस ने...
लॉकडाउन के दौरान पंजाब में महिला उत्पीड़न के मामले 21 फीसदी बढ़े, पुलिस ने तैयार की रणनीति

लॉकडाउन में एक महीने के दौरान पंजाब में महिलाओं के प्रति घरेलू हिंसा के 21 फीसदी मामले बढ़े हैं। पुलिस ने ऐसे मामलों से निपटने के लिए एक विस्तृत रणनीति तैयार की है। जिसमें रोज़ाना संबधित डीएसपी को महिलाओं के प्रति अपराध संबंधी रिपोर्ट पेश करनी होगी।

पंजाब पुलिस की ओर से वीरवार को जारी आंकड़ों मुताबिक, फरवरी से 20 अप्रैल के दौरान महिलाओं के विरुद्ध अपराध के मामलों में (4709 से 5695 तक) 21 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। इस दौरान महिलाओं के विरुद्ध घरेलू हिंसा के मामले भी इसी अनुपात में (3287 से 3993 तक) बढ़े हैं। हालांकि  दहेज उत्पीडऩ, बलात्कार और छेड़छाड़ के मामलों में काफी कमी आई है, संभवत: इसकी वजह पुरूषों और महिलाओं का घर का बाहर नहीं निकलना माना जा रहा है।

डीएसपी स्तर का अधिकारी रोजाना करेगा रिपोर्ट

डीजीपी दिनकर गुप्ता ने बताया कि डायल 112 पर प्रतिदिन आने वाली कॉलों की संख्या 133 हो गई है। महिलाओं के प्रति बढ़ती घरेलू हिंसा से निपटने के लिए डीजीपी ने गुरूवार को क्राइम एगेंस्ट वूमैन सैल के सभी डीएसपी और महिला हेल्प डैस्क के अधिकारियों के साथ एक वीडियो कांफ्रेस में ऐसी सभी शिकायतों का पता लगाने को कहा है और इसके लिए एक डीएसपी तैनात किया है जो निर्धारित फॉर्मेट में रोज़ाना रिपोर्ट भेजेगा। मुसीबत में फंसीं महिलाओं के साथ टेली -काऊंसलिंग की जाएगी। डीजीपी ने सख्त चेतावनी दी महिलाओं के खिलाफ अपराध के मामलों को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।

बिजली कंपनियों को नुकसान की आशंका

लॉकडाउन में हरियाणा की बिजली वितरण निगमों को अभी तक करीब 433 करोड रुपये का झटका लग चुका है। उद्योग और कर्मशियल प्रतिष्ठान बंद होने की वजह से घटी बिलिंग के कारण लॉकडाउन के करीब एक महीने में ही बिजली वितरण कंपनियों को 3 मई तक लॉकडाउन-2 में नुकसान 500 करोड़ के पार जाने की आशंका है। राज्य में कुल 67,98,055 बिजली उपभोक्ताओं में से 110636 औद्योगिक और 6,76,129 कर्मशियल बिजली उपभोक्ता है। बाकी उपभोक्ता कृषि, घरेलू और अन्य कैटेगरी के हैं लेकिन इन सभी उपभोक्ताओं में से औद्योगिक और गैर घरेलू कैटेगरी के उपभोक्ता ही बिजली निगम कंपनियों के लिए सबसे ज्यादा राजस्व देने वाले माने जाते हैं।

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