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राजस्थान में सरकारी दुकानों से निजी कंपनियों को मिलेगा मुनाफा

सरकारी उचित मूल्य की 5,000 दुकानों पर निजी कंपनी बेचेंगी अपना माल, दुकान सरकार की, लाभ कंपनी का, पीपीपी मॉडल की घुसपैठ पीडीएस ढांचे में भी
राजस्थान में सरकारी दुकानों से निजी कंपनियों को मिलेगा मुनाफा

राजस्थान संभवतः देश का पहला राज्य बन गया है जिसने सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस) में निजी कंपनियों की घुसपैठ कराई। अब राजस्थान में उचित मूल्य की 25,000 दुकानों में से 5000 दुकानें पीपीपी यानी निजी सरकारी साझेदारी में आ जाएंगी। राजस्थान की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे इससे पहले पीपीपी स्वास्थ्य, शिक्षा, आंगनबाड़ी केंद्रों और रोडवेज में ला चुकी हैं। अब ये उचित मूल्य की दुकानें निजी डीलरों, कोओपरेटिव सोसायटीज और महिला मंडल द्वारा चलाई जाएंगी।

उचित मूल्य की दुकानों को पीपीपी मॉडल में डालकर राजस्थान सरकार ने राज्य के गरीब लोगों के लिए जो बुनियादी ढांचा, सरकारी पैसे से खड़ा किया गया था, उसे निजी कंपनी को लाभ कमाने के लिए खोल दिया है। 20 अगस्त को राज्य की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे की मौजूदगी में राजस्थान राज्य खाद्य व नागरिक आपूर्ति निगम तथा फ्यूचर कंसुमर इंटरप्राइज लिमिटेड के बीच जो समझौता हुआ है, उसे सार्वजनिक वितरण प्रणाली के निजी कंपनी के इस्तेमाल के लिए मुहैया कराए जाने के रूप में देखा जाना चाहिए। अब इस कंपनी का बियानी ग्रुप, जो एक मल्टी ब्रांड रिटेलर है, वह सीधे-सीधे राजस्थान के 5000 सरकारी दुकानों तक अपना समान मुहैया कराएगा। इस तरह से उसकी पहुंच उन करोड़ों उपभोक्ताओं तक हो जाएगी, जिन तक उसे पहुंचने के लिए अपने पैसे से दुकाने स्थापित करनी पड़ती। गौरतलब है कि राजस्थान में 69 फीसदी आबादी राशन की दुकानों का इस्तेमाल करती है। इस बड़ी आबादी को निजी कंपनी के हवाले करने की शुरुआत राजस्थान सरकार ने की है।

राजस्थान में तेजी से जन सुविधआओं के निजीकरण का दौर चल रहा है। पीडीएस में भी इसी लक्ष्य के साथ राज्य सरकार ने अन्नपूर्णा भंडार योजना शुरू की है। इसके तहत उचित मूल्य की दुकानों (एफपीएस पर मल्टी ब्रांड उत्पाद उपलब्ध होंगे। राजस्थान सरकार का दावा है कि इसके जरिए एफपीएस के ग्राहकों को प्रतिस्पर्धी दामों पर मल्टी ब्रांड उत्पाद मिलेंगे। राजस्थान सरकार इसके लिए इन दुकानों पर अलग से रैक मुहैया कराएगी। इसके लिए उन एफपीएस दुकानों का चलन किया जाएगा जो चौड़ी सड़कों पर खुली होंगी। यहां पर सिर्फ उन्ही उत्पादों को बेचा जाएगा, जिन्हें पीडीएस के तहत नहीं दिया जा रहा है। इसके तहत सरकार ने 46 तरह के आइटम की सूची बनाई है। इसमें रिफाइंड मूंगफली का तेल, रिफाइनड सरसो का तेल, कपड़ा धोने वाला पाउडर-साबुन, नहाने का साबुन, नोटबुक, मोबाइल रिचार्ज आदि। ये तमाम समान निजी कंपनियां मुहैया कराएगी।

भोजन के अधिकार से जुड़ी मानवाधिकार कार्यकर्ता कविता श्रीवास्तव ने इसे खतरनाक कदम बताते हुए कहा कि इससे पीडीएस औऱ उचित मूल्य की दुकानों को निजी कंपनियों के नाम के लिए मुहैया कराया जा रहा है। जब बाजार पूरी तरह से इन कंपनियों के लिए खुला है तो उचित मूल्य की दुकानों को उनके लिए क्यों खोला जा रहा है।

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