देश-दुनिया में दुर्लभ एक विलुप्त प्रजाति की मकड़ी 104 साल के बाद झारखंड के जंगल में मिली है। विशेषज्ञों के अनुसार 1917 में हिमाचल प्रदेश के कुल्लू टैरंटुला समूह की यह मकड़ी पहली बार मिली थी। उसके बाद अभी पश्चिमी सिंहभूम के सारंडा जंगल में मिली है। घने वन और अपनी संपदाओं के कारण सारंडा देश में ख्यात है। यहां बड़े तादाद में हाथी सहित विभिन्न प्रजाति के जंगली जानवर, पक्षी और जीवजंतु पाये पाये जाते हैं।
यह दुर्लभ मकड़ी सारंडा के फॉरेस्ट रेस्ट हाउस और सेल के मेघालय रेस्ट हाउस परिसर में पायी गई है। विशेषज्ञों के अनुसार 1917 में हिमाचल के कुल्लू में यह पहली बार मिली थी। देश में एक हीप्रजाति सेलेनोकोस्मिया कुल्लूएंसिस 1917 (चैंबरलिन-1917) अभी तक देश में रिपोर्टेड है।
देश में तीसरी और झारखंड में दूसरी बार यह मकड़ी बार यह मकड़ी मिली है। कुछ दिन पहले भी यह जमशेदपुर में ही मिली थी जो देश में दूसरी बार देखी गई। अंतर्राष्ट्रीय प्राकृतिक संरक्षण संघ ने 3.1 रेटिंग के साथ इसे लुप्तप्राय श्रेणी में रखा है। क्षेत्र वन अधिकारी के अनुसार मकड़ी को अनुकूल परिवेश मिल सके इसके लिए उसे छोड़ दिया गया।