पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा कि यह अच्छी बात है कि प्रधानमंत्री मोदी बातचीत के लिए तैयार हैं। लेकिन इससे पहले उन्हें विवादास्पद नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) वापस लेना होगा। ममता बनर्जी ने यह बात एक कार्यक्रम में कही जहां, पेंटिंग्स के माध्यम से सीएए के विरोध को दर्शाया गया था। ममता बनर्जी ने कहा, “प्रधानमंत्री ने कश्मीर, सीएए, एनआरसी, एनपीआर किसी पर भी निर्णय लेने से पहले सर्वदलीय बैठक नहीं बुलाई। इन सब में सीएए तो देश के लिए बहुत बुरा है। हम भी बातचीत के लिए तैयार हैं लेकिन एनआरसी की वापसी के बाद।”
अखंड भारत के लिए खतरा
ममता बनर्जी ने स्पष्ट किया कि वे राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी), राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (एनपीआर) और सीएए को किसी भी हालत में स्वीकार नहीं करेंगी। उन्होंने कहा, “हम अखंड भारत चाहते हैं, हम बंगाल को एकजुट रखना चाहते हैं। हम किसी भी हालत में सीएए, एनआरसी और एनपीआर को स्वीकार नहीं करेंगे।”
तृणमूल कांग्रेस सरकार ने हाल ही में पश्चिम बंगाल विधानसभा में सीएए के खिलाफ एक प्रस्ताव पारित किया है। केरल, पंजाब और राजस्थान के बाद पश्चिम बंगाल सीएए के खिलाफ प्रस्ताव पारित करने वाला चौथा राज्य है। राज्य विधानसभा ने पिछले साल 6 सितंबर को एनआरसी के खिलाफ प्रस्ताव पारित किया था।
कानून पर भेदभाव का आरोप
सीएए के खिलाफ देश के विभिन्न हिस्सों में विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं। सीएए धार्मिक उत्पीड़न की वजह से पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश से 31 दिसंबर 2014 या उससे पहले भारत में दाखिल हुए हिंदुओं, सिखों, जैनियों, पारसियों, बौद्धों और ईसाइयों को नागरिकता देने का कानून है।