कोलकाता में एक चिकित्सक से कथित बलात्कार और उसकी हत्या की घटना के विरोध में 11 दिन से जारी हड़ताल को उच्चतम न्यायालय की अपील पर समाप्त करने के बाद सैकड़ों रेजिडेंट चिकित्सकों के शुक्रवार को काम पर लौट आने से मरीजों को बड़ी राहत मिली।
पश्चिम बंगाल सरकार द्वारा संचालित आर.जी. कर मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल के सम्मेलन कक्ष में नौ अगस्त को एक जूनियर चिकित्सक का शव मिलने के बाद इस घटना के विरोध में देश भर के स्वास्थ्य पेशेवरों ने काम बंद कर दिया था।
केंद्र सरकार और दिल्ली सरकार द्वारा संचालित प्रमुख अस्पतालों के रेजिडेंट चिकित्सकों सहित अन्य चिकित्सकों के 12 अगस्त की शाम को हड़ताल पर चले जाने के कारण ओपीडी (बाह्य रोगी विभाग) सहित गैर-आपातकालीन सेवाएं बंद थीं। इससे मरीजों को काफी परेशानी हुई और उनके उपचार में देरी हुई।
केंद्र सरकार द्वारा संचालित अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स), राममनोहर लोहिया (आरएमएल) अस्पताल, लेडी हार्डिंग मेडिकल कॉलेज और दिल्ली सरकार द्वारा संचालित एलएनजेपी (लोक नायक) अस्पताल, मौलाना आजाद मेडिकल कॉलेज, जीटीबी (गुरु तेग बहादुर) अस्पताल और इंदिरा गांधी अस्पताल के रेजिडेंट चिकित्सक दो राष्ट्रीय निकायों द्वारा हड़ताल समाप्त करने की बृहस्पतिवार शाम घोषणा किए जाने के बाद काम पर लौट आए।
‘फेडरेशन ऑफ रेजिडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन’ (एफओआरडीए) और ‘फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया मेडिकल एसोसिएशन’ (एफएआईएमए) ने स्वास्थ्य कर्मियों की सुरक्षा के बारे में उच्चतम न्यायालय द्वारा निर्देश जारी किए जाने के बाद यह निर्णय लिया।
शीर्ष अदालत ने देश भर के चिकित्सकों से काम पर लौटने की अपील की थी और उन्हें आश्वासन दिया था कि उनके खिलाफ कोई दंडात्मक कार्रवाई नहीं की जाएगी। न्यायालय ने यह भी कहा था कि न्यायाधीश और चिकित्सक हड़ताल पर नहीं जा सकते क्योंकि उनका जीवन और स्वतंत्रता से जुड़े मामलों से सरोकार होता है।
पश्चिम बंगाल को छोड़कर बाकी सभी राज्यों में रेजिडेंट चिकित्सक संगठनों ने अपनी हड़ताल वापस ले ली है। विरोध प्रदर्शनों के केंद्र बंगाल के सरकारी अस्पतालों में स्वास्थ्य सेवाएं प्रभावित रहीं। पश्चिम बंगाल में प्रदर्शन कर रहे जूनियर चिकित्सकों ने कहा है कि वे अपना काम बंद रखेंगे।
दिल्ली के जी.टी.बी. अस्पताल के रेजिडेंट चिकित्सक अमन खन्ना ने कहा, ‘‘मुझे इस उम्मीद के साथ काम पर लौटकर खुशी हो रही है कि हमारी मांगें पूरी होंगी और न्याय मिलेगा। सरकार द्वारा हमारे लिए जा फैसले लिए जा रहे हैं, हम उन पर करीबी नजर रख रहे हैं।’’
चिकित्सक कार्यस्थल पर स्वास्थ्य सेवा पेशेवरों के खिलाफ हिंसा की घटनाओं को रोकने के लिए एक केंद्रीय कानून बनाए जाने की मांग कर रहे हैं।