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हिमाचल के डीजीपी पद से हटाए जाने के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुंचे संजय कुंडू, बुधवार को होगी सुनवाई

हिमाचल प्रदेश सरकार द्वारा निशांत मामले की वजह से विवादों में आए प्रदेश के डीजीपी संजय कुंडू को उनके...
हिमाचल के डीजीपी पद से हटाए जाने के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुंचे संजय कुंडू, बुधवार को होगी सुनवाई

हिमाचल प्रदेश सरकार द्वारा निशांत मामले की वजह से विवादों में आए प्रदेश के डीजीपी संजय कुंडू को उनके पद से हटा दिया गया, जिसके बाद वह अब सुप्रीम कोर्ट पहुंचे हैं। बहरहाल, शीर्ष न्यायालय बुधवार को उनकी याचिका पर सुनवाई करने के लिए सहमत हो गया है, जिसमें उन्होंने हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती दी है।

बता दें कि अब कुंडू को प्रिंसिपल सेक्रेट्री आयुष विभाग दिया गया है। आयुष विभाग के प्रिंसिपल सेक्रेटरी अमनदीप गर्ग इस दायित्व से मुक्त हो गए हैं। गौरतलब है कि मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ ने मंगलवार को कुंडू की ओर से पेश वरिष्ठ वकील मुकुल रोहतगी की दलीलों पर ध्यान दिया और याचिका पर सुनवाई के लिए सहमति व्यक्त की।

रोहतगी ने कहा कि उच्च न्यायालय ने पुलिस अधिकारी की बात नहीं सुनी, जिसने 26 दिसंबर को राज्य सरकार को उन्हें स्थानांतरित करने का निर्देश दिया था। शीर्ष अदालत ने शुरू में कहा था कि वह याचिका पर दिन में ही सुनवाई करेगी। बाद में इसने रोहतगी की दलीलों पर ध्यान दिया और याचिका को विचार के लिए बुधवार को पोस्ट कर दिया।

दरअसल, हिमाचल हाईकोर्ट ने कारोबारी निशांत शर्मा को धमकाने से जुड़े केस में बीते मंगलवार को डीजीपी और एसपी कांगड़ा को पद से हटाने के आदेश दिए था। इस आदेश को संजय कुंडू ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है। 

गौरतलब है कि 26 दिसंबर को हिमाचल हाईकोर्ट ने हिमाचल के डीजीपी संजय कुंडू और कांगड़ा की एसपी शालिनी अग्निहोत्री को उनके पद से हटाने के आदेश दिए थे। कुंडू की नई नियुक्ति के बारे में कार्मिक विभाग में अधिसूचना जारी कर दी है।

हिमाचल प्रदेश के डीजीपी संजय कुंडू पर आरोप है कि उन्होंने पालमपुर के कारोबारी निशांत को धमकाया था। कांगड़ा जिले के एक होटल कारोबारी निशांत शर्मा ने हाईकोर्ट को ई-मेल भेजा था। इसमें डीजीपी संजय कुंडू पर तमाम आरोप लगाए गए थे। 

निशांत का कहना था कि डीजीपी संजय कुंडू उन पर शिमला आकर मिलने का दबाव बना रहे हैं। निशांत ने डीजीपी से अपनी और अपने परिवार की जान को खतरा बताया था। हाईकोर्ट ने इस पर जवाब मांगा और उसके बाद दोनों अधिकारियों को प्रथम दृष्टया दोषी माना था। दोनों को उनके पदों से हटाने की बात भी हाईकोर्ट ने कही थी।

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