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महाराष्ट्र: "ये एक्सीडेंटल गृहमंत्री"- संजय राउत, पलटवार करते हुए बोले देशमुख- लगे आरोपों की जांच करेंगे हाईकोर्ट के रिटायर्ड जज

शिवसेना सांसद संजय राउत ने रविवार को अनिल देशमुख को एक्सीडेंटल गृहमंत्री कहा है। उन्होंने दावा...
महाराष्ट्र:

शिवसेना सांसद संजय राउत ने रविवार को अनिल देशमुख को एक्सीडेंटल गृहमंत्री कहा है। उन्होंने दावा किया है कि जयंत पाटिल और दिलीप वाल्से-पाटिल जैसे वरिष्ठ एनसीपी नेताओं के बावजूद उन्हें ये पद मिला है। उनके इस बयान के खिलाफ महाराष्ट्र के गृह मंत्री अनिल देशमुख ने कहा है कि मुंबई के पूर्व शीर्ष पुलिस अधिकारी परमबीर सिंह केस में वह उच्च न्यायालय के एक रिटायर्ड जज से जांच कराएंगे।

बता दें, पार्टी मुखपत्र सामना में अपने साप्ताहिक कॉलम 'रोकथोक' में राउत ने यह भी कहा कि महाराष्ट्र में शिवसेना-एनसीपी-कांग्रेस सरकार के पास कोई डैमेज कंट्रोल करने की मशीनरी नहीं थी। जैसा कि मुंबई के पूर्व पुलिस प्रमुख परम बीर सिंह ने दावा किया था कि देशमुख ने पुलिस को एक महीने में 100 करोड़ रुपये इकट्ठा करने को कहा था। राउत ने अपने साप्ताहिक कॉलम में लिखा है कि देशमुख को संयोग से गृह मंत्री का पद मिला। जयंत पाटिल और दिलीप वालसे-पाटिल ने जिम्मेदारी लेने से इनकार कर दिया। यही कारण है कि शरद पवार ने अनिल देशमुख को इस पद के लिए चुना। शायद इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए कि सत्तारूढ़ गठबंधन के एक वरिष्ठ मंत्री के बारे में उनकी टिप्पणी बुरी तरह से देखी जा रही है। राउत ने बाद में ट्वीट किया, "बूरा ना मानो होली है ...।"

अपने कॉलम में राउत ने कहा, "अगर सचिन वाजे जैसा कोई जूनियर अधिकारी मुंबई पुलिस कमिश्नर के दफ्तर से पैसा इकट्ठा कर रहा था, तो गृह मंत्री को इसकी जानकारी क्यों नहीं थी?" राउत ने लिखा वाजे मुंबई पुलिस में एक मात्र एपीआई था। किसने उसे इतनी शक्तियां दी? वह किसका पसंदीदा था? यह सब सामने आना चाहिए। उन्होंने कहा कि देशमुख ने अनावश्यक रूप से कुछ पुलिस अधिकारियों को गलत तरीके से पालिश किया है। एक गृह मंत्री ठीक से काम नहीं कर सकता है यदि वह संदिग्ध अधिकारियों से घिरा हो।

राउत ने कहा कि एक गृह मंत्री को हमेशा कम बोलना चाहिए। कैमरों का बार-बार सामना करना और पूछताछ का आदेश देना उसका काम नहीं है। गृह मंत्री की नौकरी न केवल सलामी स्वीकार करने के लिए बल्कि एक मजबूत नेतृत्व देने के लिए है। राउत ने लिखा कि कोई कैसे भूल सकता है कि मजबूत नेतृत्व को ईमानदारी की आवश्यकता होती है।

राउत ने कहा, "सरकार की छवि का बचाव करने के लिए कोई बड़ा नेता आगे नहीं आया, जिसके कारण लोगों को सिंह के आरोपों पर विश्वास करना पड़ा।" राउत ने कहा कि गुजरात में आईपीएस अधिकारी संजीव भट और उत्तर प्रदेश में वैभव कृष्ण ने अपने मुख्यमंत्रियों को लिखे गए पत्रों के माध्यम से विभिन्न मुद्दों पर चिंता जताई थी, लेकिन उन पत्रों को डस्ट बिन में फेंक दिया गया और इसके बजाय उन अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की गई।

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