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अरुणाचल में राष्ट्रपति शासन की मजबूरी बताए केंद्रः सुप्रीम कोर्ट

अरुणाचल प्रदेश में राष्ट्रपति शासन लगाने के केंद्र के फैसले के खिलाफ कांग्रेस की याचिका पर आज सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। मामले की सुनवाई के बाद सर्वोच्च न्यायालय ने केंद्र और अरुणाचल प्रदेश के राज्यपाल को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है। अदालत ने मामले में आगे की सुनवाई के लिए सोमवार की तारीख तय की है।
अरुणाचल में राष्ट्रपति शासन की मजबूरी बताए केंद्रः सुप्रीम कोर्ट

कांग्रेस की ओर से दायर की गई याचिका पर सुनवाई करते हुए अदालत ने अरुणाचल प्रदेश के राज्यपाल के वकील से वो रिपोर्ट पेश करने को कहा जिसके आधार पर राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाया गया है। सर्वोच्च न्यायालय ने नाराजगी जताते हुए पूछा कि राज्यपाल की ओर से अदालत को सारी जानकारी क्यों नहीं उपलब्ध कराई जा रही है। किन हालातों में राष्ट्रपति शासन लगाया गया, यह जानकारी हमारे लिए बेहद जरूरी है। अदालत ने राज्यपाल के वकील से कहा कि 15 मिनट में वह रिपोर्ट मुहैया करवाइए। इस पर वकील द्वारा एक दिन का वक्त मांगने पर अदालत ने कहा कि उसे ई-मेल से मंगाइए, उसके लिए आपको ईटानगर जाने की जरूरत नहीं। इसके बाद फाइल कोर्ट में लाई गई। राज्यपाल की ओर से उनके वकील ने राष्ट्रपति शासन की सिफारिश वाली रिपोर्ट की गोपनीयता बनाए रखने का न्यायालय से अनुरोध किया। कांग्रेस ने राज्यपाल की इस दलील का विरोध किया।

 

सुप्रीम कोर्ट ने यह आदेश कांग्रेस पार्टी की 25 जनवरी को दायर की गई उस याचिका पर सुनाया है जिसमें राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाने की सिफारिश को चुनौती दी गई है। एक दिन पहले ही राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाने की केंद्र सरकार की सिफारिश को राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने मंजूरी दी थी। याचिका पर सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ में सुनवाई हुई। हालांकि सुनवाई की शुरुआत में अदालत ने कांग्रेस से अपनी याचिका में सुधार करने को कहा। कोर्ट ने टिप्पणी करते हुए कहा कि हम समझ सकते हैं कि आपातकालीन हालात हैं, लेकिन याचिका में कई खामियां हैं। उनको सही कीजिए। कोर्ट ने कहा कि मामला जरूरी था, लेकिन इस तरह के गंभीर मामलों में याचिका दाखिल करते हुए सावधानी बरतनी चाहिए। 

 

 

कांग्रेस समेत अन्य विपक्षी पार्टियां भी अरुणाचल प्रदेश में राष्ट्रपति शासन लगाने का विरोध कर रही हैं। जबकि भाजपा और केंद्र सरकार का कहना है कि राज्य में राजनीतिक संकट के मद्देनजर केंद्रीय शासन लगाना जरूरी था। अरुणाचल प्रदेश में पिछले साल के दिसंबर महीने में उस समय राजनीतिक संकट खड़ा हो गया था जब 60 सदस्यीय राज्य विधानसभा में सत्ताधारी कांग्रेस के 47 में से 21 विधायकों ने पार्टी औप मुख्यमंत्री से बगावत करते हुए भाजपा के 11 विधायकों से हाथ मिला लिया। बगावती खेमे ने मुख्यमंत्री नाबाम तुकी को हटाने की मांग के साथ ही विधानसभा अध्यक्ष के किलाफ भी मोर्चा खोल दिया था।

 

 

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