महाराष्ट्र के मंत्री नवाब मलिक को आज सुप्रीम कोर्ट से तगड़ा झटका लगा। पीएमएलए के तहत प्रवर्तन निदेशालय द्वारा उनकी गिरफ्तारी को चुनौती देने वाली याचिका को शुक्रवार को खारिज कर दिया गया है। न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति सूर्यकांत की पीठ ने मलिक की याचिका खारिज कर दी है।कोर्ट ने मलिक की उस याचिका को सुनने से मना कर दिया, जिसमें उन्होंने अपनी तुरंत रिहाई की मांग की थी।
बता दें कि मलिक पर मनी लॉन्ड्रिंग और दाऊद इब्राहिम के करीबियों से संपत्ति खरीदने का आरोप है। उन्हें ईडी ने 23 फरवरी को गिरफ्तार किया था। इससे पहले 15 मार्च को बॉम्बे हाई कोर्ट उनकी याचिका खारिज कर चुका है।
नवाब मलिक की तरफ से दलील दी गई कि उनकी गिरफ्तारी जिस प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉड्रिंग एक्ट (पीएमएलए) के तहत हुई है, वह 2005 में लागू हुआ था। लेकिन जिस मामले में गिरफ्तारी हुई है, वह 1999 का है। मलिक की तरफ से वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने दलील दी कि 1999 के मामले के लिए 2022 में इस तरह गिरफ्तार किया जाना गलत है, लेकिन जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ और सूर्य कांत की बेंच इससे सहमत नहीं हुई।
न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने कहा, "आप सक्षम अदालत में जमानत के लिए आवेदन कर सकते हैं। इस स्तर पर हम बिल्कुल भी हस्तक्षेप नहीं करेंगे।"
वहीं, नवाब मलिक की याचिका खारिज होने के सवाल पर शिवसेना नेता संजय राउत ने कहा कि मैंने कहा था कि ये जो राहत घोटाला, दिलासा घोटाला कोर्ट में चल रहा है ये सब केवल एक ही विचारधारा के लोगों को मिल रहा है, दूसरों को नहीं मिलेगा। देश की न्याय व्यवस्था में यह सबसे बड़ा घोटाला है।
बता दें कि प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने गुरुवार को धन शोधन मामले में महाराष्ट्र के मंत्री नवाब मलिक के खिलाफ पांच हजार पन्नों का आरोपपत्र दाखिल किया। आरोपपत्र में 50 से ज्यादा लोगों के बयान दर्ज किए गए हैं। अंडरवर्ल्ड डॉन दाऊद इब्राहिम से संबंध धन शोधन मामले में एनसीपी नेता को 23 फरवरी को गिरफ्तार किया गया था। वह अभी न्यायिक हिरासत में है।
मामला राष्ट्रीय जांच एजेंसी द्वारा दाऊद और उसके सहयोगियों के खिलाफ हाल में गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) कानून के तहत दर्ज प्राथमिकी पर आधारित है। मलिक पर भगोड़े दाऊद के सहयोगियों हसीना पारकर, सलीम पटेल और सरदार खान के साथ मिलकर एक संपत्ति को हड़पने के लिए एक आपराधिक साजिश रचने का आरोप है।