Advertisement

तमिल मैगजीन के खिलाफ मद्रास हाईकोर्ट में सुनवाई पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगाई

तमिलनाडु के गवर्नर बनवारीलाल पुरोहित की निंदा करने वाला लेख छापने के आरोप में तमिल पत्रिका नक्कीरन के...
तमिल मैगजीन के खिलाफ मद्रास हाईकोर्ट में सुनवाई पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगाई

तमिलनाडु के गवर्नर बनवारीलाल पुरोहित की निंदा करने वाला लेख छापने के आरोप में तमिल पत्रिका नक्कीरन के खिलाफ मद्रास हाईकोर्ट में एक मुकदमे की सुनवाई पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगा दी है। जस्टिस एस. ए. नजीर की अगुआई वाली एक बेंच ने आदेश के खिलाफ राज्य सरकार की दलील पर सुनवाई करने को सहमति जताई है। इस आदेश में मैगजीन और उसके संपादक की याचिका की सुनवाई पर रोक लगाई गई है।

लेख छापने पर संपादक को किया था गिरफ्तार

चार जून को हाईकोर्ट ने निचली अदालत में नक्कीरन के संपादक आर. गोपाल के खिलाफ एक केस की सुनवाई पर रोक लगाकर उन्हें राहत दी थी। गोपाल को आइपीसी की धारा 124 के तहत पिछले साल 9 अक्टूबर को गिरफ्तार किया गया था। राष्ट्रपति, गवर्नर और अन्य को वैधानिक शक्तियों का इस्तेमाल करने से रोकने और उन्हें इसके लिए बाध्य करने का प्रयास करने का केस दर्ज कराया गया था। इसके बाद राज्य में विवाद खड़ा हो गया। लेकिन स्थानीय अदालत द्वारा पुलिस की दलील को खारिज किए जाने और रिमांड पर भेजने से इन्कार किए जाने के बाद उन्हें कुछ घंटों में ही निजी मुचलके पर रिहा कर दिया गया।

ऑडियो टेप से खुला था सेक्स स्कैंडल

एक प्राइवेट कॉलेज की एक महिला असिस्टेंट प्रोफेसर के संबंध में कई लेख नक्कीरन में छापे जाने पर राजभवन ने मैगजीन के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई थी। लेख में असिस्टेंट प्रोफेसर पर आरोप लगाए गए थे कि उसने परीक्षाओं में अच्छे अंक और पैसों के लिए छात्राओं को यूनीवर्सिटी के अधिकारियों से यौन संबंध बनाने के लिए उकसाया। मैगजीन ने यह केस खारिज करने की प्रार्थना करते हुए मद्रास हाईकोर्ट में याचिका दायर की। केस की सुनवाई में हाईकोर्ट ने कहा कि देश की आजादी के बाद यह पहला केस है जिसमें अदालत के सामने एक मामला विचार के लिए लाया गया है कि क्या किसी प्रकाशन के पास राज्यपाल को प्रभावित करने की ताकत है जिससे वह राज्यपाल को उनके वैधानिक अधिकार और कर्तव्य निभाने से रोक सके।

राज्यपाल ने किया था आरोपों से इन्कार

यह मामला इस साल अप्रैल में असिस्टेंट प्रोफेसर निर्मला देवी और कुछ छात्राओं के बीच बातचीत का एक ऑडियो टेप उजागर होने के बाद सामना आया। पुरोहित ने ऑडियो टेप में प्रोफेसर के दावे को खारिज कर दिया कि वह उसे जानते हैं। राज्यपाल का कहना था कि वह उसे बिल्कुल नहीं जानते हैं। सेक्शन 124 में संपादक की गिरफ्तार की डीएमके के साथ तमाम विपक्षी दलों ने कड़ी निंदा की।

अब आप हिंदी आउटलुक अपने मोबाइल पर भी पढ़ सकते हैं। डाउनलोड करें आउटलुक हिंदी एप गूगल प्ले स्टोर या एपल स्टोर से
Advertisement
Advertisement
Advertisement
  Close Ad