सखी की अध्यक्ष नीलम चतुर्वेदी ने बताया कि 2004 में जब शबीना पर तेजाब फेंका गया तो पुलिस उसकी एफआईआर लिखने में आनाकानी कर रही थी बाद में महिला संगठनों के दबाव के बाद घटना के चार दिन बाद एफआईआर लिखी गई और वसीम को गिरफ्तार किया गया। कानपुर की स्थानीय अदालत ने 2007 में वसीम को 14 साल की कैद की सजा सुनाई।
चमनगंगज में रहने वाली 28 साल की शबीना के पिता प्राइवेट दुकान पर नौकरी करते है और उसका परिवार काफी बड़ा है। 12 साल पहले वर्ष 2004 में उस की शादी मोहल्ले के वसीम से लगी थी। वसीम जल्दी शादी करना चाहता था लेकिन शबीना के घर वालों ने थोड़ा इंतजार करने को कहा जिससे नाराज होकर वसीम ने शबीना पर तेजाब से हमला कर दिया।
नीलम ने बताया एसिड अटैक से शबीना के चेहरे और जिस्म पर बहुत गहरे घाव थे। घर वालों की आर्थिक स्थिति इतनी अच्छी नही थी कि वह उसका बेहतर इलाज करवा सकें। ऐसे में सखी आगे आई। उसने कई लोगों से मदद मांगी। उसके आठ आपरेशन हुए। नीलम ने बताया कि कुछ दिन पहले शबीना के पिता उनके पास आए और कहा कि मोहल्ले का एक युवक शमशाद उनकी बेटी शबीना से शादी करना चाहता है। वह स्वयं शमशाद से मिली जब उन्हें अच्छी तरह से यकीन हो गया कि शमशाद उनकी बेटी शबीना को शादी के बाद खुश रखेगा तब उन्होंने शादी के लिए हां की। शमशाद शादीशुदा था लेकिन पहली पत्नी उसे छोड़कर चली गई थी।
सखी संगठन की पहल पर और मदद से गुरुवार की शाम शबीना की शादी उसके नए घर ढकनापुरवा में शमशाद के साथ हुआ। इसमें शहर के अनेक गणमान्य लोगों ने बढ़ चढ़ कर हिस्सा लिया। इस शादी में खाने से लेकर शबीना के कपड़े जेवर और जरूरी सामान सब का इंतजाम लोगों के आपसी सहयोग से हुआ।
नीलम के अनुसार निकाह के बाद शबीना ने कहा कि अल्लाह ने जख्म दिए थे, उसी ने झोली खुशियों से भर दी। इस दिन का तो कभी ख्याल भी नही किया था। अल्लाह का बहुत बहुत शुक्रिया। (एजेंसी)
 
                                                 
                             
                                                 
                                                 
                                                 
			 
                     
                    