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बिकरु कांड पर एसआईटी का खुलासा, पुलिस-प्रशासन की लापरवाही से गई थी 8 पुलिसकर्मी की जान

सूत्रों के मुताबिक ये रिपोर्ट शासन को सौप दिया गया है। बिकरु काण्ड पर एसआईटी की टीम गठित की गई अपर...
बिकरु कांड पर एसआईटी का खुलासा, पुलिस-प्रशासन की लापरवाही से गई थी 8 पुलिसकर्मी की जान

सूत्रों के मुताबिक ये रिपोर्ट शासन को सौप दिया गया है। बिकरु काण्ड पर एसआईटी की टीम गठित की गई अपर मुख्य सचिव संजय भुसरेड्डी  की अध्यक्षता में 3 सदस्य एसआईटी का गठन किया इसमें अपर पुलिस महानिदेशक हरिराम शर्मा व पुलिस उपमहानिरीक्षक जे रविंद्र गौड सदस्य बनाए गए 
 
कानपुर का बिकरु काण्ड , यूपी में ही नहीं देश भर के सुर्खियों में रहा और इसमें पुलिस अधिकारी समेत 8 पुलिस की जान गई थी इस मुठभेड़ में विकास दुबे और उसके साथियों ने अंज़ाम दिया था । इस घटना ने सरकार और उसके कानून व्यवस्था पर एक बहुत बड़ा प्रश्न लगा सारी घटना को लेकर के  सरकार ने एसआईटी की जांच पूरी कर 31 जुलाई तक रिपोर्ट उपलब्ध कराने को कहा था 
 
जांच मे जो बिन्दु थे वो ज्यादा और गहनता से जांच के थे इसलिये समय बढाने पड़े। और अन्दरूनी जानकारी के मुताबिक  700 पन्नों की मूल रिपोर्ट लगभग 2500 ने संलग्न के साथ जमा हो गयी है।
 
3200 पन्नों की रिपोर्ट एसआईटी ने सौंपी
 
अपने 3200 पन्नों की रिपोर्ट है, एसआईटी ने माना है कि 60 फीसदी  पुलिस व 40 फ़ीसदी प्रशासन के अधिकारी- कर्मचारी   इस कांड के पीछे  शामिल रहे ।एसआईटी ने यह भी माना कि कानपुर के कई पुलिस व प्रशासनिक अवसर पर लगे आरोप सही पाए गए हैं।  एसआईटी ने  गैंगस्टर विकास दुबे उसके परिवार करीबी रिश्तेदार व गैंग के सदस्यों को मिलाकर कुल 57 लोगों की संपत्तियां, ठेके और शस्त्र लाइसेंस  के संबंध में  यह माना है कि कहीं ना कहीं  इन सब को  करने में करवाने में  लापरवाही ना की गई  होती  तो विकास दुबे  का आतंक का साम्राज्य इतना आगे ना बढ़ पाता।
 
एसआईटी से की गई थी मांग
 
जब जब विकास और उसका गैंग अपराध करता था उस के बाद ही विकास दुबे उसके साथियों के  लाइसेंस रद्द तक क्यों नहीं हुये? इनके लाइसेंस किसने बनवाया, कौन लोग शामिल थे ?इसकी जांच रिपोर्ट में इस बात को ध्यान में रखते हे कहा गया है चाहे शस्त्र लाइसेंस की बात हो या फिर यहां तक पासपोर्ट दोनों में ही कई नियमों को अनदेखी करके यह बनाया गया है।
 
शासन की तरफ से यह भी था कि इनके ऊपर गैंगस्टर एक्ट गुंडा एक्ट एनएसए आदि के अंतर्गत कभी कार्रवाई क्यों नहीं हुई और लापरवाही किसने किया? इस गैंग की सीडीआर के परीक्षण की भी बात कहीं गई थी। कौन लोग इनकी मदद किया करते थे ?इस गैंग ने सरकारी और गैर सरकारी जमीन पर कहां-कहां अवैध कब्जा किया अपराधिक इतिहास वाले विकास की जमानत का कभी विरोध क्यों नहीं हुआ ?
 
इन सभी तथ्यों के पीछे पुलिस अधिकारी प्रशासनिक अधिकारी स्थानीय कौन लोग हुआ करते थे जो इनके इन सभी कार्यों में मदद करते थे? इन सब चीजों को भी लेकर के एसआईटी से जांच करने को कहा गया था 
 
जांच में एसआईटी की भूमिका एक नज़र में जानिए...
 
कानपुर के बिकरू कांड को लेकर गठित SIT ने सौंपी सरकार को अपनी जांच रिपोर्ट
 
9 बिंदुओं को लेकर SIT द्वारा की गई जाँच रिपोर्ट लगभग साढ़े तीन हजार पन्नों की है
 
आधिकारिक सूत्रों के अनुसार इसमें 80 के लगभग वरिष्ठ और जूनियर अधिकारियों के खिलाफ कार्यवाही शामिल है जब कि  SIT ने 30 के खिलाफ प्रशासनिक सुधार की संस्तुति की है। इनमे पुलिस, प्रशासनिक और अन्य विभाग के अधिकारियों की  अंतरलिप्ता मुख्य आधार रहा है।
 
100 से ज्यादा गवाहियो के आधार पर SIT ने अपनी जांच रिपोर्ट तैयार की है।
 
12 जुलाई को SIT ने अपनी जांच शुरू की जिसको 16 अक्टूबर को पूरा किया।
 
 SIT ने मुख्य रूप से अपनी 9 बिंदुओं पर हो रही जाँच को आधार बना कर रिपोर्ट तैयार की है। 
 
SIT को 31 जुलाई, 2020 को अपनी जाँच रिपोर्ट मुख्यमंत्री को सौपनी थी, किन्तु गवाहियों का आधार बढ़ने के कारण रिपोर्ट को 16 अक्टूबर को पूरा किया जा सका
 
एसआईटी हेड  संजय आर भूसरेड्डी की अध्यक्षता में गठित  एस.आई.टी. ने अपनी रिपोर्ट शासन को सौंप दी है।
 
अब लगभग 3200 पन्नों की रिपोर्ट शासन को पहुंच चुकी है अब देखना होगा कि एसआईटी रिपोर्ट को सरकार क्या करती है उसमें किस तरह की कार्रवाई होगी?

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