कोविड-19 के कारण आर्थिक गतिविधियों में आई कमी के चलते आर्थिक संकट के समय हरियाणा में अतिलघु (कुटीर), लघु और मध्यम औद्योगिक इकाइयों (एमएसएमई) को सहायता प्रदान करने के लिए राज्य सरकार ने ‘हरियाणा एमएसएमई बहाली ब्याज लाभ योजना’ तैयार की है ताकि वे स्थायी, अनुबंध पर लगे कर्मचारियों और श्रमिकों सहित अपने कर्मचारियों को वेतन का भुगतान कर सकें।
निर्णय आज चंडीगढ़ में मुख्यमंत्री मनोहर लाल की अध्यक्षता में हुई मंत्रिमंडल की बैठक में लिया गया। इस योजना के तहत, 15 मार्च, 2020 तक या उससे पहले हरियाणा में कार्यरत सभी एमएसएमई इकाइयां प्रति कर्मचारी अधिकतम 20,000 रुपये तक कर्मचारियों के वेतन और अन्य खर्चों के भुगतान हेतु लिए गए ऋणों पर छ: महीनों की अवधि के लिए शत-प्रतिशत ब्याज लाभ की पात्र होंगी।
ब्याज लाभ इकाई द्वारा बैंक/वित्तीय संस्थान को छ: महीने की अवधि के लिए भुगतान किए गए ब्याज तक सीमित होगा। ब्याज लाभ की गणना बैंक/वित्तीय संस्था द्वारा सावधि ऋण/वर्किंग कैपिटल लोन पर अधिकतम 8 प्रतिशत प्रति वर्ष की ब्याज दर या वास्तविक ब्याज दर, जो भी कम हो, पर की जाएगी।
इस योजना का लाभ उठाने के लिए औद्योगिक इकाई में 1 फरवरी, 2020 और 15 मार्च, 2020 की अवधि के बीच कम से कम 80 प्रतिशत दिनों के लिए व्यावसायिक उत्पादन हो रहा हो। व्यावसायिक उत्पादन में आने के बाद इकाई ने आईईएम/ ईएम/यूएएम दाखिल किया हो और लॉकडाउन अवधि के दौरान पुन: संचालन अनुमति लेने की तिथि से एक महीने के भीतर या 30 जून, जो भी बाद में हो, तक बैंक/वित्तीय संस्थान से सावधि ऋण/वर्किंग कैपिटल लोन लिया हो।
यदि एमएसएमई इकाइयों को केन्द्र सरकार द्वारा इसी तरह का प्रोत्साहन दिया जाता है, तो इस योजना के तहत एमएसएमई इकाइयों को सावधि ऋण/वर्किंग कैपिटल लोन पर कुल ब्याज लाभ को 8 प्रतिशत प्रति वर्ष की सीमा तक लाने के लिए केवल वृद्धिशील लाभ प्रदान किया जाएगा। यह योजना हरियाणा सरकार के गजट में इसकी अधिसूचना की तिथि से लागू होगी और योजना की अधिसूचना के तीन महीने बाद तक लागू रहेगी।
वहीं, सरकार ने मंडियों में फलों एवं सब्जियों की बिक्री पर एक प्रतिशत मार्केट फीस और एक प्रतिशत एचआरडीएफ लगाने का निर्णय लिया है। इस आशय का निर्णय मुख्यमंत्री मनोहर लाल की अध्यक्षता में हुई मंत्रिमंडल की बैठक में लिया गया। पंजाब में पहले से ही फलों एवं सब्जियों की बिक्री पर दो प्रतिशत मार्केट फीस और दो प्रतिशत उपकर लगाया जा रहा है। इसी प्रकार, चंडीगढ़ में फलों एवं सब्जियों पर दो प्रतिशत मार्केट फीस और हिमाचल प्रदेश तथा दिल्ली में फलों एवं सब्जियों पर एक प्रतिशत मार्केट फीस लगाया जा रहा है।