भू-कानून में संशोधन को बनाई गई उच्च स्तरीय समिति ने अपनी सिफारिशें सरकार को सौंप दी हैं। बताया जा रहा है कि इस समिति की अधिकांश सिफारिशें जनभावनाओं के अनुरूप ही हैं। माना जा रहा है कि धामी सरकार जल्द ही त्रिवेंद्र सरकार के एक और फैसले को पलट सकती है।
राज्य गठन के बाद से ही उत्तराखंड में बाहरी लोगों के जमीन खरीदने पर कई प्रतिबंध लगे हैं। एक निर्धारित सीमा तक ही कोई बाहरी शख्स इस राज्य में जमीन खरीद सकता है। लेकिन 2018 में तत्कालीन मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने जमीन खरीद में लगी सीलिंग को हटा दिया था। उसके बाद से ही बाहरी लोग उत्तराखंड में मनमानी जमीन खरीद रहे हैं। इससे पहाड़ पर जनसंख्या संतुलन गड़बड़ा रहा है तो पलायन भी बढ़ रहा है।
यूं तो त्रिवेंद्र से सीएम रहते ही उनके इस फैसले का विरोध हो रहा था। लेकिन उनके कुर्सी से हटने के बाद इस फैसले का मुखर विरोध हो रहा था। सोशल मीडिया में अभियान चल रहे हैं तो सड़क पर भी प्रदर्शन हो रहे हैं। जनभावनाओं को समझते हुए मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने पूर्व मुख्य सचिव सुभाष कुमार की अध्यक्षता में एक उच्च स्तरीय समिति का गठन किया था। इस समिति के भू-कानून के सभी पहलुओं को समझकर और सभी पक्षों से बात कर सिफारिशें देने को कहा गया था।
सूत्रों ने बताया कि इस समिति ने अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंप दी है। रिपोर्ट में जनभावनाओं का ख्याल करते हुए सख्त भू कानून में सख्त प्रावधान करने की सिफारिशें की गई हैं। बताया जा रहा है कि समिति ने बाहरी लोगों के लोगों के जमीन खरीदने पर फिर से सीलिंग लगाने का सुझाव दिया गया है। कई अन्य सख्त प्रावधान करने की भी वकालत की गई है।
सूत्रों का कहना है कि धामी सरकार अब जनभावनाओं का सम्मान करते हुए त्रिवेंद्र सरकार के सीलिंग खत्म करने के प्रावधान को बदल सकती है। अगर ऐसा होता है कि उत्तराखंड के मूल निवासियों की एक बड़ी मांग पूरी होगी। साथ ही जमीनों की मनमानी खरीद-फरोख्त पर भी प्रभावी अंकुश लग सकेगा।