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एक्सक्लूसिव - 'इसलिए हम केजरीवाल पर भरोसा नहीं करते'

पंजाब के गांव-गांव में चुनावी गतिविधियों की धमक सुनाई दे रही है। चौपालों पर सियासी सरगर्मियां तेज हैं। किसे, क्यों वोट देना चाहिए और किसे क्यों नहीं देना चाहिए इस पर चर्चाएं तेज हैं। आमतौर पर पंजाब में एक या दो दफा लगातार सत्ता सुख के बाद सत्ता परिवर्तन होता ही है लेकिन इस दफा आम आदमी पार्टी ने पंजाब में कांग्रेस और शिरोमणि अकाली दल के समीकरण बिगाड़ दिए हैं। हालांकि चुनावों में अभी समय है और आखिरी महीनों में राजनीति बिसात पर कौन क्या चाल चलता है, कहा नहीं जा सकता लेकिन आज की सच्चाई यह है कि राज्य में आम आदमी पार्टी का हाथ ऊपर है।
एक्सक्लूसिव - 'इसलिए हम केजरीवाल पर भरोसा नहीं करते'

 

पंजाब तीन हिस्सों में बंटा हुआ है। माझा, मालवा और दोआबा। मालवा सतलुज नदी के दक्षिण में स्थित है। यह इलाका कपास की खेती और रईस जाट सिख बहुल माना जाता है। हरित क्रान्ति का गवाह भी यही इलाका रहा है और किसान आत्महत्याओं का भी। यहां सबसे ज्यादा 69 विधानसभा सीटें हैं। सतलुज और व्यास नदियों के बीच वाले इलाके को दोआबा कहा जाता है। यह गेहूं की पैदावार वाला इलाका है और पंजाब की एनआरआई बेल्ट है। यहां कुल 23 विधानसभा सीटें हैं। पाकिस्तान की सीमा से सटे व्यास नदी के उत्तर में स्थित इलाके को माझा कहते हैं। यहां कुल 25 विधानसभा सीटें है।

 

पंजाब की सियासत मालवा और वहां के मुद्दों के आसपास ही घूमती है। सरकार और मुख्यमंत्री तय करने में सबसे अहम भूमिका मालवा की मानी जाती है। तमाम मुख्यमंत्री भी मालवा से ही रहे हैं। सियासत का केंद्र मालवा होने का एक कारण यह भी है कि ज्यादातर राजनीतिक घरानों की आपस में रिश्तेदारियां हैं। यहां का सबसे बड़ा मुद्दा है खेती और किसान। गांव-गांव घूमने पर कहा जा सकता है कि ग्रामीण लोग अभी तक की सरकारों से आजिज आ चुके हैं। बठिंडा जिला के रामकरण सिंह रामा का कहना है कि हमने अकाली सरकार का भ्रष्ट शासन देख लिया। कांग्रेस का राजसी ठाठ वाला शासन भी देख लिया अबकी दफा एक नई पार्टी को मौका देने का मन है।

 

बठिंडा के रहने वाले सरूप सिंह कहते हैं कि पंजाब में आने वाला समय और खराब है। क्योंकि बीते दो सालों से कपास की खेती बरबाद हो गई। सरकारी मिलिभगत से राज्य में किसानों को नकली बीज और नकली कीटनाशक दिए गए जिस वजह से न तो फसल हुई। कर्जा और बढ़ गया। वह कहते हैं कि पंजाब को भ्रष्टाचार से निजात चाहिए। लेकिन मुक्तसर के सरदारा सिंह कहते हैं कि अभी तक इस नई पार्टी के पास कोई नेता नहीं है। सरदारा सिंह के अनुसार गांववासी अरविंद केजरीवाल पर भरोसा नहीं कर सकते क्योंकि वह तो दिल्ली में रहेंगे और यहां हमारी कोई सुनेगा नहीं। कम से कम बादल साहब की कोठी जाकर हम कभी भी उनसे मिल लेते हैं। फिलहाल आम आदमी पार्टी के साथ प्रदेश का युवा और पढ़ा-लिखा शहरी वर्ग जुड़ रहा है। बेशक खेती-किसानी करने वालों ने भी अपने घर के गेट पर अरविंद केजरीवाल के पोस्टर लगा रखे हैं लेकिन फिलहाल पार्टी के पास किसानों की  समस्याओं का कोई ठोस हल नहीं है। यह पोस्टर वोटबैंक में कितना बदलेंगे कहा नहीं जा सकता।  

 

भारतीय किसान यूनियन से जुड़े लोगों का कहना है कि खेती से जुड़े ज्यादातर मसलों पर फैसला केंद्र सरकार के हाथ रहता है। लेकिन जो खेती नहीं करना चाहते वह पंजाब में औद्योगिकरण चाहते हैं। ताकि बेरोजगारी दूर हो सके। बेरोजगारों की बड़ी जमात और उनके परिवार इस संदर्भ में आम आदमी पार्टी पर भरोसा कर रहे हैं कि वह राज्य को बेरोजगारी और भ्रष्टाचार से निजात दिलाएंगे। यह दो मुद्दे हैं जिनकी वजह से आम आदमी पार्टी की राज्य में खूब चर्चाएं हैं।     

 

 

 

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