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हार्वर्ड इंडिया कांफ्रेंस में हेमन्‍त बोले- झारखण्‍ड को जहां पहुंचना चाहिए था वहां नहीं पहुंच सका

हार्वर्ड इंडिया कांफ्रेंस में झारखण्‍ड के मुख्‍यमंत्री हेमन्‍त सोरेन ने आदिवासियों के प्रति अपनी...
हार्वर्ड इंडिया कांफ्रेंस में हेमन्‍त बोले- झारखण्‍ड को जहां पहुंचना चाहिए था वहां नहीं पहुंच सका

हार्वर्ड इंडिया कांफ्रेंस में झारखण्‍ड के मुख्‍यमंत्री हेमन्‍त सोरेन ने आदिवासियों के प्रति अपनी चिंता जाहिर की, पर्यटन के प्रति दिलचस्‍पी जाहिर की तो कोरोना काल में लौटे कामगारों के हित में काम को गिनाया और नौकरियों के प्रति इरादे को बताया। वे शनिवार देर रात ऑनलाइन कांफ्रेंस में अपना विचार व्‍यक्‍त कर रहे थे।


हेमन्‍त सोरेन ने कहा कि अलग राज्‍य बने बीस साल हो गये इस बीच कई सरकारें आयीं मगर अपने सफर में झारखण्‍ड को जहां पहुंचना चाहिए था नहीं पहुंच सका। हालांकि झारखण्‍ड से ही देश के विकास की पहल हुई है। देश का पहला लाह संस्‍थान, उद्योग, खाद का कारखाना स्‍थापित हुआ। रेशम और लाह को सरकार कृषि का दर्जा देगी और एमएसपी तय करेगी। पर्यटन की संभावनाओं और अपने इरादे को जाहिर करते हुए कहा कि ऐसे अनेक उदाहरण हैं जहां प्रचुर मात्रा में खनिज हैं वहां की स्थिति कई मायनों में खराब है। इसके बावजूद वे पर्यटन के बदल पर आगे बढ़ रहे हैं। झारखण्‍ड खनिज के मामले में आगे है तो क्‍यों न पर्यटन को बढ़ावा दिया जाये और गोलियों की आवाज की जगह पर्यटकों की हंसी सुनाई दे।


आदिवासियों से जुड़े सवाल पर उन्‍होंने कहा कि आदिवासी हित हमारी प्राथमिकता में है। नीति में तो आदिवासियों के लिए बात की जाती है मगर काम इसके विपरीत है। देश में ट्राइबल कौंसिल, आदिवासी मंत्रालय है। संविधान की पांचवीं और छठी अनुसूची में अधिकार प्राप्‍त है मगर इसका लाभ आदिवासियों को हीं मिल रहा है। यही वजह है कि राज्‍य सरकार ने केंद्र सरकार से आग्रह किया है कि आगामी जनगणना में आदिवासी समूह के लिए अलग कॉलम होना चाहिए। ताकि वे अपनी परंपरा और संस्‍कृति को संरक्षित कर आगे बढ़ सकें। झारखण्‍ड में कई तरह के आदिवासी हैं उनकी अस्मिता की रक्षा के लिए काम किया जा रहा है। वर्तमान सरकार ने ट्राइबल यूनिवर्सिटी बनाने का निर्णय किया है। इससे शिक्षा के क्षेत्र में सतत विकास हो सकेगा।

कोरोना, श्रमिक हित और रोजगार
मुख्‍यमंत्री ने कहा कि काम की तलाश में झारखण्‍ड से लाखों की संख्‍या में कामगार दूसरे राज्‍य जाते हैं। कोरोना संक्रमण के काल में श्रमिकों के प्रति अमानवीय चेहरा नजर आया। श्रमिकों के हित में काम करने की जरूरत है। राज्‍य सरकार ने केंद्र से लगातार गुहार लगाई कि झारखण्‍ड के श्रमिकों को वापस लाया जाये। सबसे पहले झारखण्‍ड ने अपने श्रमिकों को वापस लाया। वापसी के बाद उन्‍हें रोजगार देने और मनरेगा के तहत 900 लाख मानव दिवस का सृजन किया। संक्रमण काल में एक भी व्‍यक्ति की भूख से मौत नहीं हुई। हमने उन्‍हें मुफ्त पोषक भोजन दिया। संक्रमण काल में बहुत काम बाधित हुए मगर हमने अनेक नीतियों का निर्माण किया। नई खेल नीति ला रहे हैं। खिलाड़‍ियों की सीधी नियुक्ति का प्रावधान किया है। सभी जिलों में जिला खेल पदधिकारी की नियुक्ति की गई है। खेल संभावना को सरकार करीब से देख रही है। युवाओं को रोजगार देने का काम हो रहा है। विडंबना कि राज्‍य के गठन के बीस साल में जेपीएससी ( झारखण्‍ड लोक सेवा आयोग) की मात्र छह परीक्षाएं आयोजित हो सकीं। राज्‍य सरकार ने 2021 को नौकरियों का वर्ष घोषित किया है पूरे साल नौकरियां देने का काम किया जायेगा।

बुजुर्गों की चिंता
मुख्‍यमंत्री ने कहा कि अकसर भ्रण के दौरान बुजुर्गों से बात करने के दौरान शिकायत मिलती है कि उन्‍हें पेंशन का लाभ नहीं मिल रहा। संबंधित अधिकारी कहते हैं कि लक्ष्‍य पूरा हो चुका है। केंद्र सरकार से आग्रह किया है कि यूनिवर्सल पेंशन देकर ऐसे बचे हुए बुजुर्गों को लाभान्ति किया जाये। राज्‍य सरकार ने राज्‍य कोष से इसे बढ़ाया है। वृद्ध भूमिहीन न रहें, पेंशन से वंचित न रहें इस दिशा में काम हो रहा है।

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