एक निजी समाचार चैनल के स्टिंग ऑपरेशन के जरिये ये आरोप सामने आए हैं। हालांकि हुर्रियत नेताओं ने इन आरोपों को झूठ बताया है और उनका कहना है कि कश्मीर में विरोध प्रदर्शनों पर काबू पाने में नाकाम रहने के कारण भारत सरकार ये प्रोपेगंडा कर रही है। एनआईए ने हुर्रियत नेताओं सैयद अली शाह गिलानी, नईम खान, फारूख अहमद डार, गाजी जावेद बाबा तथा अन्य नेताओं के खिलाफ प्राथमिक जांच (पीई) दर्ज कर ली है।
हुर्रियत नेताओं पर आरोप है कि लश्कर के मुखिया से पैसे लेकर ये नेता घाटी में सुरक्षा बलों पर पत्थर फिंकवाने, सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाने, स्कूलों तथा अन्य सरकारी संस्थानों में आग लगवाने जैसी घटनाओं को अंजाम दे रहे हैं।
पिछली जुलाई से कश्मीर में बड़े पैमाने पर हिंसक घटनाएं हो रही है। आतंकी बुरहान वानी की मौत के बाद भड़की हिंसा नवंबर दिसंबर में नोटबंदी के दौरान तो काबू में रही मगर उसके बाद फिर से शुरू होई। हिंसा की इन घटनाओं में अबतक कई लोग मारे जा चुके हैं।
वैसे एनआईए पहले भी जम्मू-कश्मीर प्रभावित राहत फंड ट्रस्ट के जरिये पैसे के लेन-देन के आरोपों की जांच कर चुकी है। पिछले साल अगस्त में एजेंसी ने कश्मीर के कुछ अलगाववादी नेताओं को समन भेजकर उनसे इस बारे में पूछताछ की थी। इस वर्ष के आरंभ में एनआईए ने नियंत्रण रेखा के दोनों तरफ व्यापार करने वाले कुछ कारोबारियों से भी हवाला के जरिये लेन-देन के मामले में पूछताछ की थी। (एजेंसी)