महबूबा मुफ्ती के तिरंगे को लेकर की गई टिप्पणी के बाद, दर्जनों शिवसेना डोगरा फ्रंट (एसएसडीएफ) के कार्यकर्ताओं ने उनके खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया। महबूबा ने कहा था कि वह केवल तभी तिरंगा धारण उठाएंगी, जब जम्मू और कश्मीर का झंडा बहाल होगा। इनकी इस टिप्पणी के बाद, एसएसडीएफ के अध्यक्ष अशोक गुप्ता के नेतृत्व में, हाथों में तिरंगा पकड़े हुए प्रदर्शनकारियों ने रानी पार्क में इकट्ठा होकर पूर्व मुख्यमंत्री के खिलाफ नारे लगाए।
गुप्ता ने कहा, "हम महबूबा और अब्दुल्ला (नेशनल कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष फारूक अब्दुल्ला) जैसे कश्मीरी नेताओं की राष्ट्र-विरोधी टिप्पणी बर्दाश्त नहीं करेंगे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को सीमाएं खोल देनी चाहिए और उन्हें पाकिस्तान और चीन भेज देना चाहिए क्योंकि भारत में उन लोगों के लिए कोई जगह नहीं है।"
शुक्रवार को श्रीनगर में 14 महीने की नजरबंदी से रिहा होने के बाद अपनी पहली मीडिया बातचीत में, पीडीपी अध्यक्ष ने कहा जब तक पिछले 5 अगस्त को किए गए संवैधानिक बदलाव वापस बहाल नहीं किए जाते तब तक उन्हें चुनाव लड़ने या तिरंगा हाथ में लेने में कोई दिलचस्पी नहीं है।
प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान जम्मू और कश्मीर राज्य के झंडे को पीडीपी अध्यक्ष की टेबल पर बिलकुल सामने रखा गया था। यह पहली बार था जब पीडीपी ने किसी पार्टी कार्यक्रम या प्रेस कॉन्फ्रेंस में राज्य के पूर्ववर्ती झंडे का प्रदर्शन किया था।
उनके इस कदम से आहत गुप्ता का कहना है कि "राष्ट्रीय ध्वज हमारा गर्व और सम्मान है। यह हमारे शहीदों की प्रतिष्ठा है। हमारे पास तिरंगे पर गर्व करने वाले मुसलमान हैं, हम किसी को भी अपने भाईचारे को चोट नहीं पहुंचाने देंगे।" उन्होंने नेशनल कांफ्रेंस के सांसदों के इस्तीफे की भी मांग की और कहा कि "जो भी गुप्कर घोषणा का हिस्सा हैं, उन्हें पाकिस्तान और चीन भेजा जाना चाहिए।"
कश्मीर में मुख्यधारा के राजनीतिक दलों, नेकां और पीडीपी सहित, सभी ने पिछले साल के 5 अगस्त से पहले पूर्ववर्ती राज्य की विशेष स्थिति की बहाली के लिए इस महीने गुपकर घोषणा के लिए पीपुल्स गठबंधन का गठन किया है।