अविभाजित बिहार के सरकारी खजाने से लगभग 900 करोड़ रुपये अवैध तरीके से निकाले गए थे। इस राशि की बंदरबांट कई नेताओं, नौकरशाह और फर्जी कंपनियों के आपूर्तिकर्ताओं ने आपस में की थी, जबकि यह राशि पशुओं के चारे, दवाइयों और पशुपालन के लिए रखे गई थी। वर्ष 1996 में यह घोटाला सामने आया था।
मुख्य आरोपी
इस मामले में बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव, जगन्नाथ मिश्रा, पूर्व मंत्री विद्यासागर निषाद, तीन आईएएस अधिकारी फूलचंद सिंह,बेक जूलियस और महेश प्रसाद, पीएसी के तत्कालीन अध्यक्ष जगदीश शर्मा और ध्रुव भगत, आरके राणा, कोषागार के अधिकारी एसके भट्टाचार्य, पशु चिकित्सक डॉ. केके प्रसाद और अन्य शामिल थे। 11 आरोपियों की मौत हो चुकी है। तीन सीबीआई के गवाह बन गए और दो ने अपना अपराध स्वीकार कर लिया था, जिसके बाद उन्हें 2006-07 में ही सजा सुना दी गई।
घटनाक्रम
-10 मई 1997 को सीबीआई ने राज्यपाल से लालू यादव के खिलाफ कार्रवाई की मांग की।
- 23 जून 1997 को लालू यादव और 55 अन्य के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की गई।
- 29 जुलाई 1997 को लालू यादव को गिरफ्तार किया गया।
-12 दिसंबर 1997 को वह रिहा हो गए।
- 28 अक्टूबर 1998 को उन्हें फिर से गिरफ्तार कर लिया गया।
- मार्च 2012 को सीबीआई ने पटना कोर्ट में लालू यादव, जगन्नाथ मिश्रा सहित 32 लोगों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की।
- 2013 में चारा घोटाले से जुड़े एक मामले चाईबासा केस में लालू को सजा मिली और अब वह जमानत पर बाहर हैं।