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पत्रकार राजदेव रंजन हत्याकांड : सुप्रीम कोर्ट सख्‍त, आरोपियों को जमानत नहीं

सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को सीबीआई से कहा कि वह बिहार में पत्रकार राजदेव रंजन हत्या मामले की जांच तीन माह में पूरी करे। न्यायमूर्ति दीपक मिश्रा और न्यायमूर्ति अमिताव रॉय की पीठ ने यह स्पष्ट कर दिया कि हत्या मामले का कोई भी आरोपी आरोप पत्र दायर नही होने के आधार पर जमानत न मांगे।
पत्रकार राजदेव रंजन हत्याकांड : सुप्रीम कोर्ट सख्‍त, आरोपियों को जमानत नहीं

पीठ ने सिवान में सत्र न्यायाधीश से भी यह रिपोर्ट मांगी कि जिस दिन ये दो भगौड़े आरोपी- मोहम्मद कैफ और मोहम्मद जावेद बिहार के स्वास्थ्य मंत्री तेज प्रताप यादव और राजद के विवादित नेता शहाबुद्दीन के साथ नजर आए थे, तब क्या उन्हें घोषित अपराधी करार दिया गया था?

इसी बीच, बिहार सरकार ने पीठ को बताया कि इन आरोपियों ने जब सिवान में बिहार के स्वास्थ मंत्री के साथ मुलाकात की थी, तब उन्हें घोषित अपराधी करार नहीं दिया गया था।

रंजन की पत्नी आशा रंजन ने 23 सितंबर को शीर्ष अदालत में दावा किया था कि सीबीआई ने ‘राजनीतिक प्रभाव’ और ‘शहाबुद्दीन के डर’ के कारण इस मामले में जांच शुरू तक नहीं की है। बाद में शीर्ष अदालत ने सीबीआई को पत्रकार हत्या के मामले की जांच आगे बढ़ाने के लिए कहा और साथ ही बिहार पुलिस से पत्रकार के परिवार को सुरक्षा देने के लिए कहा। पत्रकार के परिवार ने शहाबुद्दीन से जान का खतरा होने का दावा किया है।

अदालत ने रंजन की पत्नी की याचिका के आधार पर शहाबुद्दीन, बिहार के स्वास्थ्य मंत्री एवं राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद के बेटे तेज प्रताप यादव और बिहार सरकार से भी जवाब मांगा है। रंजन की पत्नी ने मामले को बिहार के सिवान से दिल्ली स्थानांतरित करने की भी मांग की है।

अखबारों में छपी एक तस्वीर में राजद प्रमुख के बेटे को कथित गैंगस्टर से नेता बने शहाबुद्दीन के दो शार्प शूटरों में से एक के साथ देखा गया था। भाषा एजेंसी 

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