सुप्रीम कोर्ट में दही हांडी के खिलाफ स्वाती पाटिल ने याचिका दायर की। याचिकाकर्ता ने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि दही हांडी में साल 2011 में 156 लोग जख्मी हुए, जबकि 2015 में इनकी संख्या कई गुना बढ़ गई। जिस पर सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई की।
राज्य सरकार ने भी सुप्रीम कोर्ट से 2014 के आदेशों में स्पष्टता देने की गुहार लगाई थी, जिसमें 12 साल तक के बच्चों को दही हांडी में हिस्सा लेने की इजाजत दी गई थी और साथ ही हाईकोर्ट के 20 फुट की ऊंचाई सीमित करने के आदेश पर रोक लगा दी थी। सरकार का कहना है कि क्या ये आदेश एक साल के लिए थे या अभी भी लागू हैं।
महाराष्ट्र सरकार की ओर से एएसजी तुषार मेहता ने सुप्रीम कोर्ट को बताया था कि 11 अगस्त 2014 को बॉम्बे हाईकोर्ट ने अपने आदेश में कहा था कि 18 साल से कम के युवक दही हांडी में हिस्सा नहीं ले सकते और इसकी ऊंचाई भी 20 फुट से ज्यादा नहीं होनी चाहिए। आयोजकों ने सुप्रीम कोर्ट में अपील की थी और सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के फैसले पर रोक लगाते हुए 12 साल तक के बच्चों को हिस्सा लेने की इजाजत दे दी थी और ऊंचाई के आदेश पर भी रोक लगा दी थी। लेकिन बाद में सुप्रीम कोर्ट ने इस याचिका का निस्तारण कर दिया।
एएसजी के मुताबिक, अब हाईकोर्ट इस मामले में अदालत की अवमानना का मामला मानते हुए सुनवाई कर रहा है। ऐसे में सुप्रीम कोर्ट अपने आदेश के बारे में स्पष्ट करे कि आखिर ये छूट सिर्फ उसी साल के लिए थी या आगे भी लागू रहेगी। इन तमाम दलीलों के बाद सुप्रीम कोर्ट ने दही हांडी मामले पर अपना फैसला सुना दिया है। उसने मानव पिरामिड की ऊंचाई 20 फीट से ज्यादा नहीं रखने के स्पष्ट आदेश दिए हैं।