Advertisement

झारखंड में सरकारी नौकरी के लिए फर्जी सरेंडर का मामला सही पाया गया

राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष जस्टिस एचएल दत्तू ने कहा कि झारखंड में सरकारी नौकरी के लिए बेरोजगार युवाओं के उग्रवाद के नाम पर फर्जी सरेंडर का मामला प्रारंभिक जांच में सही पाया गया है। इस संबंध में शिकायत मिलने के बाद आयोग ने अपना जांच दल भेजा था। दल ने फर्जी सरेंडर के आरोप को सही पाया।
झारखंड में सरकारी नौकरी के लिए फर्जी सरेंडर का मामला सही पाया गया

 

इसके बाद आयोग की ओर से बनाई गई रिपोर्ट राज्य सरकार को भेजी गई है। रिपोर्ट पर राज्य सरकार की प्रतिक्रिया मिलने के बाद आगे की कार्रवाई होगी। जस्टिस दत्तू राज्‍य में धुर्वा स्थित न्‍यायिक अकादमी में आयोग के अन्य सदस्यों जस्टिस क्राइक जोसेफ, जस्टिस डी मुरुगेशन और जस्टिस एससी सिन्हा के साथ संवादाताओं से बात कर रहे थे।  

ठगे गए बेरोजगार युवाओं के प्रतिनिधिमंडल ने मानवाधिकार आयोग के अफसरों से भी भेंट की थी। इन लोगों ने अफसरों को आवेदन देकर अनुरोध किया था कि उनके साथ न्याय किया जाए। यह भी अनुरोध किया था कि इस साजिश में सरकारी कर्मी या सरकारी अफसर जो शामिल हैं, उनके विरुद्ध भी कार्रवाई की जाए। युवाओं ने अपने पैसे भी वापस कराने की मांग रखी है।  

दिग्दर्शन नामक स्वयंसेवी संस्थान ने राज्य के 514 बेरोजगार युवाओं से ठगी करते हुए उन्हें नौकरी दिलाने के नाम पर फर्जी उग्रवादी बनाकर सरेंडर करा दिया। इन युवाओं को पुलिस कस्टडी में करीब दो साल तक पुराने जेल परिसर में रखा गया। संबंधित युवाओं को जब अपने साथ धोखाधड़ी का एहसास हुआ तब लोअर बाजार थाने में 31 मार्च 2014 को मुकदमा दर्ज कराया गया।

पहली चार्जशीट 2 जून 2014 को दाखिल की गई थी। उसी दिन कोर्ट ने संज्ञान ले लिया। इसके बाद पहली सप्लिमेंटरी चार्जशीट 29 सितंबर 15 को दाखिल की गई। इसपर भी कोर्ट ने उसी दिन संज्ञान लिया। इसी तरह दूसरी सप्लिमेंटरी चार्जशीट 19 अगस्त 15 को दाखिल की गई। कोर्ट ने फिर उसी दिन संज्ञान ले लिया। इस पर सघन जांच जारी है। 

अब आप हिंदी आउटलुक अपने मोबाइल पर भी पढ़ सकते हैं। डाउनलोड करें आउटलुक हिंदी एप गूगल प्ले स्टोर या एपल स्टोर से
Advertisement
Advertisement
Advertisement
  Close Ad