मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, योगी आदित्यनाथ ने 25 मई को कुशीनगर के मैनपुर कोट गांव का दौरा किया था। इस दौरान ये भी खबर थी कि वह मुसहर बस्ती का भी निरीक्षण करेंगे। ऐसे में मुख्यमंत्री के आने से पहले यहां साबुन, शैंपू और सेंट बांटे और उन्हें मुख्यमंत्री के दौरे से पहले साफ-सुथरा रहने की हिदायत दी गई है। ताकि उनकी दयनीय दशा सीएम के सामने दिख न सके। प्रशासन के आला अधिकारियों ने इस दलित बस्ती के लोगों से कहा कि मुख्यमंत्री के पास जाना तो नहा-धोकर, पाउडर लगाकर जाना।
वहीं, गांव वालों का कहना है कि विकास से कोसों दूर रहे इस गांव में मुख्यमंत्री के आने की खबर मिलते ही अधिकारियों ने इस गांव की ओर ध्यान देना शुरू कर दिया। सड़क-खड़ंजा तो ठीक ही किया गया, साथ ही लोगों के लिए शौचालय भी बनवाए गए। लोगों के घरों के अंदर भी साफ सफाई करवाई गई। बिजली की व्यवस्था भी हुई।
गौरतलब है कि इस बस्ती में 1800 लोग घास फूस की झोपड़ी में रहते हैं। टोले में एक कमरे का एक स्कूल है, जहां कोई पढ़ने नहीं जाता। टोले में कोई शौचालय भी नहीं है। इस टोले में समाजवादी पेंशन योजना भी नहीं पहुंची और उज्जवला योजना भी नहीं। पानी के नाम पर सिर्फ हैंडपंप है।
इस टोले में योगी आदित्यनाथ भले नहीं पहुंचे हो, लेकिन साबुन-शैंपू के पहुंचने से इस बस्ती को चर्चा मिल गई, लेकिन जहां साबुन-शैंपू नहीं पहुंचा, वहां क्या? ऐसी 159 बस्तियां कुशीनगर में है। यानी 159 बस्तियों में रहने वाले करीब ढाई लाख मुसहर जीते जी मौत की बीमारियों को ढोते हुए जीते हैं।