उच्चतम न्यायालय ने हरियाणा के एक कानून में हाल में किए गए उन संशोधनों की वैधता आज बरकरार रखी है, जिनके जरिए पंचायत चुनाव लड़ने वाले उम्मीदवारों की न्यूनतम शैक्षणिक योग्यता समेत विभिन्न मापदंड तय किए गए हैं। न्यायमूर्ति जे.चेलमेश्वर और न्यायमूर्ति ए. एम. सप्रे की पीठ ने कहा, रिट याचिका को खारिज किया जाता है।
इस याचिका में हरियाणा के पंचायती राज संशोधन कानून 2015 की वैधता को चुनौती दी गई थी, जो पंचायत चुनाव लड़ने वाले सामान्य जाति के उम्मीदवारों के लिए दसवीं और महिला (सामान्य जाति) एवं अनुसूचित जाति के उम्मीदवारों के लिए आठवीं को अनिवार्य शैक्षणिक योग्यता के रूप में निर्धारित करता है। हालांकि पंच पद का चुनाव लड़ने वाली अनुसूचित जाति की महिलाओं के लिए न्यूनतम शैक्षणिक योग्यता पांचवीं कक्षा होगी।
गौरतलब है कि सरपंचों का कार्यकाल 25 जुलाई- 15 को खत्म हो चुका है। चुनाव से ठीक पहले 11 अगस्त को हरियाणा सरकार ने पंचायती राज कानून में संशोधन किया था। पंचायत चुनाव लड़ने के लिए चार शर्तें रखी गईं थी लेकिन एक जनहित याचिका के माध्यम से सर्वोच्च न्यायालय में सरकार के इस फैसले को चुनौती दी गई थी। सात सितंबर को सरकार ने पंचायती राज संशोधन विधेयक-2015 विधानसभा में पारित किया।
सरकार की शर्तें
- पंचायत चुनाव लड़ने के लिए सामान्य श्रेणी के लिए दसवीं और महिलाओं तथा अनुसूचित जाति के पुरुषों के लिए आठवीं पास होना जरुरी है।
- पंच पद के लिए अनुसूचित जाति की महिलाओं के लिए शैक्षणिक योग्यता 5वीं पास रहेगी।
- बिजली का बिल भरना और सहकारी बैंक का कर्ज चुकाना जरुरी हो गया है।
- घर में शौचालय होने का प्रमाणपत्र देना होगा।
- जघन्य अपराध में चार्जशीट होने पर चुनाव नहीं लड़ पाएंगे।
- 10 सितंबर को हिसार की वेदवंती ने पंजाब-हरियाणा उच्च न्यायालय में शैक्षणिक योग्यता पर याचिका दाखिल की थी।
- 17 सितंबर को जगमती सांगवान की याचिका पर सर्वोच्च न्यायालय ने हरियाणा पंचायती राज संशोधन कानून-2015 पर रोक लगाई।