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माफ करो नहीं लड़ेंगे चुनाव, दफ्तर में तोड़-फोड़, रैली में भीड़ नहीं, बंगाल भाजपा में क्या रहा है चल

वैसे तो भाजपा ने इस बार बंगाल विधानसभा में 200 सीटें जीतने का दावा किया है। लेकिन पिछले कुछ समय से आ रही...
माफ करो नहीं लड़ेंगे चुनाव, दफ्तर में तोड़-फोड़, रैली में भीड़ नहीं, बंगाल भाजपा में क्या रहा है चल

वैसे तो भाजपा ने इस बार बंगाल विधानसभा में 200 सीटें जीतने का दावा किया है। लेकिन पिछले कुछ समय से आ रही खबरों ने दूसरे कई सवाल खड़े कर दिए। जहां कई रैलियों में खाली कुर्सी दिखाई दे रही है। वहीं भाजपा के दफ्तरों में तोड़-फोड़ के भी मामले सामने आए हैं। यही नहीं कई उम्मीदवारों पार्टी का टिकट मिलने के बावजूद चुनाव लड़ने से इंकार कर दिया है। ऐसे लोग अब यह सवाल पूछ रहे हैं कि क्या इस तरफ भाजपा दीदी को हराने का दावा कर रही है।

एजेंसी की खबरों के अनुसार गुरूवार को जब भाजपा ने 148 उम्मीदवारों की लिस्ट जारी की तो उसे असहज स्थिति का सामना करना पड़ा। मसलन जलपाईगुड़ी सदर विधानसभा क्षेत्र से सुजित सिंघा को पार्टी के उम्मीदवार के रूप में घोषित किए जाने के बाद भाजपा के कार्यकर्ताओं ने डीबीसी रोड जलपाईगुड़ी में पार्टी कार्यालय पर तोड़फोड़ की और पोस्टर फाड़ डाले। इसकी वजह यह बताई जा रही है कि पुराने नेताओं को टिकट नहीं मिलने से वह नाराज थे।

इसी तरह जगदलपुर विधानसभा क्षेत्र से अरिंदम भट्टाचार्य को पार्टी के उम्मीदवार घोषित किए जाने के बाद भाजपा कार्यकर्ताओं ने विरोध प्रदर्शन किया और पार्टी कार्यालय में तोड़फोड़ की। वहीं दूसरी ओऱ मालदा के हरिशचंद्रपुर में तो बीजेपी कार्यकर्ताओं ने पार्टी कार्यालय में ही तोड़फोड़ कर डाली। इसी तरह कोलकाता में बीजेपी ऑफिस के सामने में पूरे दिन हंगामा रहा। पार्टी कार्यकर्ता टिकट बंटवारे से नाराज थे। इसके अलावा दुर्गापुर, दमदम, चोचुड़ा में भी कार्यकर्ताओं ने प्रदर्शन किया। पार्टी कार्यालय में भी तोड़-फोड़ की है। और दमदम में रास्ता बंद कर दिया।

टिकट मिलने पर जताई हैरानी, चुनाव से तौबा

पार्टी ने शिखा मित्रा को चौरंगी विधानसभा सीट से उम्मीदवार बनाया था, लेकिन उन्होंने चुनाव लड़ने से इनकार कर दिया है। उन्होंने कहा, “मैंने भाजपा से कहा था कि मैं चुनाव नहीं लड़ना चाहती  हूं। इसके बावजूद उन्होंने अचानक मेरे नाम की घोषणा कर दी। शिखा मित्रा पश्चिम बंगाल कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष सोमेन मित्रा की पत्नी हैं। उन्होंने यहां तक कहा कि हमेशा कांग्रेस में रही हैं अचानक बीजेपी में कैसे चली जाएं। शिखा की तरह बेलगछिया सीट के लिए घोषइ उम्मीदवार तरुण साहा ने भी यह कहते हुए चुनाव लड़ने से इनकार कर दिया कि उन्होंने भाजपा को पहले ही सूचित कर दिया था।

 

रैली में भीड़ नहीं

पश्चिम बंगाल में सबसे अधिक बिकने वाली बंगाली दैनिक आनंदबाजार पत्रिका ने बुधवार को राष्ट्रीय स्तर के भाजपा नेताओं द्वारा संबोधित की गई रैलियों के दौरान खाली कुर्सियों को दिखाते हुए एक पन्ने में चार तस्वीरों को छापा। खाली पड़ी कुर्सियों ने वास्तविक तौर पर पश्चिम बंगाल चुनाव में एक बहस को छेड़ दिया है। राजनीतिक पंडितों ने पूछ डाला है कि क्या ममता बनर्जी शासन को पटखनी देने की उम्मीद पाले बैठी भाजपा ने उस गति को खो दिया है जिसमें वो मस्त थी। 

पिछले कुछ दिनों में देखें तो सल्बोनी में केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी और पश्चिम मिदनापुर जिले के गोल्टोर में राजनाथ सिंह, पूर्वी मिदनापुर जिले के एगरा में नितिन गडकरी ने चुनावी जनसभा को संबोधित किया। वहीं, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने पुरुलिया, बाकुरा और पश्चिम मिदनापुर में रैलियों को संबोधित किया। जबकि बांकुड़ा जिले के बिशुनपुर में भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने रैली को संबोधित किया है। लेकिन, इन दिग्गजों की जनसभा में बहुत कम उपस्थिति देखने को मिला है। आदित्यनाथ की जंगल महल रैली में दावा तो 15 हजार की भीड़ जुटाने का था लेकिन बमुश्किल 4 हजार लोग पहुंचे, वह भी देरी होने पर उठकर जाने लगे। 

खाली पड़ी कुर्सियों की तस्वीरें सोशल मीडिया पर जमकर वायरल हुईं है। तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) के समर्थकों ने भी वामपंथी दलों की तरह उन्हें सोशल मीडिया पर साझा किया है। इसके जरिए भाजपा विरोधियों ने सत्ता के सपने देख रही पार्टी को  संभावनाओं के बारे में बताया है। इसे बंगाली मीडिया, प्रिंट, इलेक्ट्रॉनिक और डिजिटल दोनों में रिपोर्ट की गई है।

यहां तक कि झारग्राम जिले में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की रैली आयोजित की गई,जिसमें बहुत कम लोगों ने हिस्सा लिया। शाह कार्यक्रम स्थल पर नहीं पहुंचे और पार्टी ने उनके हेलीकॉप्टर में तकनीकी खराबी होने का हवाला दिया। उसके बाद शाह ने वर्चुअल स्पीच दिया। टीएमसी ने भी जल्दी में सवाल उठाया कि खाली पड़ी कुर्सियों की वजह से शाह के हेलिकॉप्टर की लैंडिंग नहीं हुई। विरोधियों ने दोनों को जोड़ते हुए भाजपा पर सवाल उठाए।

 

 (इनपुट एस.के.सिंह, प्रशांत श्रीवास्तव, स्निगेंधु भट्टाचार्य)

 

 

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