उत्तर प्रदेश में सत्तासीन समाजवादी पार्टी के मुखिया मुलायम सिंह पर एक टिप्पणी की वजह से विवादों में रहे अमिताभ ने उत्तर प्रदेश सरकार से अध्ययन अवकाश ले कर आईआईएम लखनऊ में दाखिला लिया था, जहाँ से उन्होंने रेगुलर कोर्स कर दो वर्षों में अपना शोध पूरा किया।
मानवाधिकार कार्यकर्ता डॉ. नूतन ठाकुर की विज्ञप्ति के मुताबिक नौकरी में आने के बाद भी उन्होंने लीडरशिप, तनाव और प्रबंधन का यूपी पुलिस के कार्य परिणाम, कार्य प्रदर्शन और कार्य संतोष पर पड़ने वाले प्रभाव के संबंध में प्रो० पंकज कुमार, प्रो० हिमांशु राय और प्रो० पुष्पेन्द्र प्रियदर्शी के निर्देशन में अपना शोध कार्य जारी रखा था।
अमिताभ ने इस हेतु पूरे प्रदेश से 933 पुलिसकर्मियों का सर्वे कर वैज्ञानिक ढंग से यह निष्कर्ष निकाला है कि पुलिस के कार्य परिणाम पर लीडरशिप तथा मानव प्रबंधन का सकारात्मक लेकिन संस्थागत तनाव का विपरीत प्रभाव पड़ता है। शोध से सामने आया कि भावनात्मक बुद्धि (इमोशनल इंटेलिजेंस) और वचनबद्धता (इंगेजमेंट) पर समुचित ध्यान देने की गहन आवश्यकता है। ऐसा करके ही कार्य परिणाम को बेहतर बनाया जा सकता है। अध्ययन में पाया गया कि यूपी पुलिस में तनाव सामान्य से अधिक है और पुलिस के बेहतर प्रदर्शन के लिए उस तनाव में भारी कमी किए जाने की जरूरत है।
अध्ययन का दावा है कि बेहतर पुलिसिंग हेतु पुलिस में उचित मानव प्रबंधन, संस्थागत तनाव पर नियंत्रण और समुचित नेतृत्व विकसित करने पर ध्यान देने के कार्यों में इस शोध परिणाम का व्यापक योगदान हो सकता है। साथ ही पुलिसकर्मियों के भावनात्मक सोच को संतुलित करने पर अधिक ध्यान देने में भी यह उपयोगी साबित होगा।