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पंजाब, हरियाणा, उत्तराखंड के डेरों, आश्रमों में हजारों लोग फंसे, अकेले ब्यास डेरे में ही 15 हजार

देशभर में कोरोना संक्रमण कारक के रूप में तबलीगी जमात के लोग जहां निशाने पर हैं वहीं डेरों, आश्रमों और...
पंजाब, हरियाणा, उत्तराखंड के डेरों, आश्रमों में हजारों लोग फंसे, अकेले ब्यास डेरे में ही 15 हजार

देशभर में कोरोना संक्रमण कारक के रूप में तबलीगी जमात के लोग जहां निशाने पर हैं वहीं डेरों, आश्रमों और धर्मशालाओं में लॉकडाउन के चलते पिछले 15 दिन से फंसे हजारों लोग भी कोरोना संक्रमण के शिकार हो सकते हैं। 14 अप्रैल तक के लॉकडाउन में अभी पूरा एक हफ्ता बचा है पर ऐसे ठिकानों से लोगों को बाहर निकालने की कोई बड़ी कोशिशें सामने नहीं आई हैं। पंजाब के ब्यास में राधास्वामी डेरे में ही 15 हजार से अधिक सेवादार फंसे हैं। हरियाणा के कुरुक्षेत्र की धर्मशालाओं और आश्रमों और सिरसा के डेरा सच्चा सौदा में भी सैंकड़ों श्रद्धालु पिछले 15 दिन से फंसे हैं। 21 मार्च को वैष्णों देवी की यात्रा पर गए दर्जनों जत्थे भी दर्शन के बाद कटरा में फंसे हैं। हरिद्वार के एक आश्रम में धार्मिक आयोजन के लिए गए गुजरात के1800 लोगों को गुजरात के मुख्यमंत्री की पहल पर उत्तराखंड के मुख्यमंत्री ने 27 मार्च की रात को उत्तराखंड परिवहन और प्राइवेट लग्जरी बसों में बैठाकर अहमदाबाद पहुंचाया था। भले ही गंगा आरती व स्नान के लिए लोग बाहर नहीं निकल रहे पर अभी भी हरिद्वार व ऋषिकेश के आश्रमों में भी हजारों लोगों को अपने घरों की ओर लौटने का इंतजार है। यहां के शांति कुंज, जयराम आश्रम और प्रेम नगर आश्रम समेत कई अन्य छोटे बड़े आश्रमों में डटे हजारों लोगों के समक्ष कोरोना खतरे से निपटने के अलावा खाने-पीने,पहनने और दवाओं की बड़ी चुनौती अलग से है।

पक्के सेवादारों के जत्थे अभी तक नहीं लौटे

राधास्वामी डेरा ब्यास से जुड़े सूत्रों मुताबिक, 18 मार्च को डेरा में 4 दिन की सेवा के लिए गए पक्के सेवादारों के जत्थे अभी तक इसलिए नहीं लौटे हैं कि उनके बदले सेवा की जिम्मेदारी संभालने के लिए पंजाब, हरियाणा, हिमाचल, यूपी, उत्तराखंड और जम्मू से जाने वाले जत्थे लॉकडाउन के चलते सेवा के लिए ब्यास नहीं जा पाए हैं। मोहाली से 18 मार्च को डेरे की बस में लंगर की सेवा के लिए ब्यास गए जत्थे में शामिल एक पक्के सेवादार ने अपने परिजनों को डेरे के पीसीओ से फोन पर अपने कुशल-क्षेम की जानकारी देते हुए बताया कि डेरे में उनके साथ 15 हजार से अधिक सेवादार लॉकडाउन खुलने के बाद ही लौटेंगे। हालांकि राधास्वामी डेरा ब्यास के प्रमुख बाबा गुरिंदर सिंह ढिल्लों ने देश-विदेश में अपने 1,500 से अधिक डेरों में तमाम सत्संग-समागम रद्द किए जाने की घोषणा की है, पर डेरा ब्यास में फंसे सेवादारों को बाहर निकलने का इंतजार है।

जल्द कराई जाएगी सेवादारों को उनके घरों तक पहुंचाने की व्यवस्था

इस बारे में अमृतसर के उपायुक्त शिवदुलार सिंह ढिल्लों का कहना है कि 3,000 एकड़ से अधिक में फैले डेरे में करीब 2,500 परिवार कई वर्षों से रह रहे हैं। वहां लंगर और आवास सेवा के लिए बड़ी संख्या में सेवादारों का होना स्वाभाविक है। यहां हजारों लोगों के लिए प्रतिदिन तैयार किए जा रहे लंगर को आस-पास के जरूरतमंदों में बांटा जा रहा है। ढिल्लों के मुताबिक डेरा प्रबंधन से बात कर सेवा के लिए बाहर से आने वाले सेवादारों को उनके घरों तक पहुंचाने की व्यवस्था जल्द कराई जाएगी।

15 मार्च से राज्य सरकार ने एक जगह पर 100 से अधिक लोगों के जमा होने पर रोक लगाई थी, पर हरियाणा के धर्मक्षेत्र-कुरुक्षेत्र की बिरला, जाट, रोड व ब्राहाण धर्मशालाओं समेत कई आश्रमों में सैंकड़ों लोग फंसे हैं। सैंकड़ों कमरों वाली इन बड़ी धर्मशालाओं व आश्रमों में कहने को, अलग-अलग कमरों में ठहरे लोग सामाजिक दूरी कायम रखे हुए हैं, पर दिन में तीन समय के भोजन-लंगर के लिए भीड़ का लंगर हाल में जुटना संक्रमण को न्यौता दे रहा है। कोरोना वायरस संक्रमण से बचने के लिए सामाजिक दूरी बनाए रखने पर जोर दिए जाने की कवायद ऐसे जगहों पर हवाई साबित हो रही है। इस पर आउटलुक से बातचीत में हरियाणा के डीजीपी मनोज यादव ने कहा कि ‘उनके संज्ञान में भी ऐसी जगहों पर लोगों के जमा होने की खबरें आई हैं, पूरे राज्य में पुलिस द्वारा ऐसे ठिकानों का पता लगा कर जमा हुए लोगों को सुरक्षित जगहों के लिए भेजा जाएगा’।

लॉकडाउन के चलते सैंकड़ों लोग डेरे के अंदर फंसे हैं

750 एकड़ में फैले डेरा सच्चा सौदा सिरसा मुख्यालय के सभी द्वार बंद हैं, पर डेरा में 21 मार्च हो हुई ब्लॉक प्रधानों की बैठक के बाद 22 मार्च को जनता कर्फ्यू और 24-25 मार्च की मध्य रात्रि से लॉकडाउन के चलते सैंकड़ों लोग डेरे के अंदर फंसे हैं। सिरसा में ही कम्बोज समुदाय के डेरा बाबा भूम्मण शाह के मुख्य द्वार पर बैनर लगा डेरा को अनिश्चतकाल के लिए बंद किए जाने की सूचना दी गई है। डेरा प्रबंधन का दावा है कि संक्रमण से बचने के लिए डेरे के अंदर सैंकड़ों सेवादारों के बीच दूरी कायम रखी जा रही है। 

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