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मुजफ्फरपुर में इंसेफेलाइटिस से तीन और बच्चों की मौत, अब तक 139 बच्चों ने तोड़ा दम

बिहार के 16 जिलों में चमकी बुखार (एक्यूट इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम) से इस महीने की शुरुआत से 600 से अधिक बच्चे...
मुजफ्फरपुर में इंसेफेलाइटिस से तीन और बच्चों की मौत, अब तक 139 बच्चों ने तोड़ा दम

बिहार के 16 जिलों में चमकी बुखार (एक्यूट इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम) से इस महीने की शुरुआत से 600 से अधिक बच्चे प्रभावित हुए हैं जिनमें से अब तक 139 की मौत हो चुकी है। शुक्रवार को तीन और बच्चों की मौत होने से मरने वालों का आंकड़ा 136 से 139 पहुंच गया। राज्य के स्वास्थ्य विभाग ने यह जानकारी दी। विभाग द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार 1 जून से राज्य में एक्यूट इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम (एईएस) के 626 मामले दर्ज हुए और इसके कारण मरने वालों की संख्या 139 के करीब पहुंच गई।

मुजफ्फरपुर जिले में सबसे अधिक अब तक 117 मौतें हुई हैं। इसके अलावा भागलपुर, पूर्वी चंपारण, वैशाली, सीतामंढी और समस्तीपुर से मौतों के मामले सामने आए हैं।

शुक्रवार को लोकसभा में उठाया गया था चमकी बुखार का मामला

भाजपा नेता राजीव प्रताप रूडी ने शुक्रवार को लोकसभा में चमकी बुखार का मामला उठाया था। उन्होंने कहा था, यह फैलाया जा रहा है कि बच्चों ने लीची खाई, जिस वजह से उनकी मौत हो गई। इसके बाद अचानक लीची के निर्यात में गिरावट आ गई और लीचियां तटों पर पड़ी हैं। उन्होंने कहा, हमें यह पता लगाना होगा कि क्या यह किसी साजिश का हिस्सा है। हमें इस बारे में विस्तृत जानकारी हासिल करनी होगी। रूडी का बयान ऐसे समय पर आया है, जब बिहार चमकी बुखार के कहर से जूझ रहा है।

12 घंटे के दौरान 7 बच्चों की मौत

मुजफ्फरपुर के सिविल सर्जन डॉ शैलेश प्रसाद ने गुरुवार देर शाम को बताया था कि पिछले 24 घंटे के दौरान श्रीकृष्ण मेडिकल कालेज अस्पताल और केजरीवाल अस्पताल में चमकी बुखार से सात बच्चों की मौत हुई। उन्होंने बताया कि उनके जिले में अबतक इस रोग से ग्रसित कुल 562 बच्चे भर्ती कराए गए जबकि स्वास्थ्य लाभ लेने के बाद 219 बच्चों को अस्पताल से छुट्टी दी जा चुकी है। मंगलवार को पूर्वी चंपारण जिले में एक बच्चे की और 16 जून को पटना मेडिकल कॉलेज अस्पताल में एक बच्चे और 13 जून को समस्तीपुर जिले के विभूतिपुर में एक बच्चे की मौत हो गयी थी।

इंसेफेलाइटिस पीड़ित बच्चों के इलाज के लिए टीम गठित करने संबंधी याचिका पर सुनवाई करेगा सुप्रीम कोर्ट

सुप्रीम कोर्ट ने बिहार के मुजफ्फरपुर में एक्यूट इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम से पीड़ित बच्चों के इलाज के लिए तत्काल चिकित्सा विशेषज्ञों का दल गठित करने का निर्देश केंद्र सरकार को देने का अनुरोध करने वाली याचिका पर सुनवाई के लिए बुधवार को हामी भरी। जस्टिस दीपक गुप्ता और जस्टिस सूर्यकांत ने याचिकाकर्ता द्वारा मामले को जल्दी सूचीबद्ध करने का अनुरोध करने पर याचिका पर सोमवार को सुनवाई करने की बात कही।

याचिका में अनुरोध किया गया है कि न्यायालय केंद्र को निर्देश दे कि वह इस महामारी से जूझ रहे बच्चों के प्रभावी इलाज के लिए सभी उपकरण और अन्य सहायता उपलब्ध कराए। वकील मनोहर प्रताप ने अपनी यचिका में दावा किया है कि वह बीते हफ्ते दिमागी बुखार के कारण से हुई 126 से ज़्यादा बच्चों की मौत से व्यथित हैं।

मुजफ्फरपुर में की गई 11 चिकित्सा अधिकारियों की तैनाती

मंगलवार तक केजवरीवाल अस्पताल में 19 बच्चों की और पूर्वी चंपारण जिले में एक बच्चे की इस रोग से मौत हुई थी। राज्य के स्वास्थ्य विभाग की तरफ से जारी एक बयान में कहा गया है कि दरभंगा, सुपौल और मधुबनी के कुल 11 चिकित्सा अधिकारियों की तैनाती मुजफ्फरपुर में की गयी है। इसके अलावा अन्य जिलों में तैनात तीन बाल रोग विशेषज्ञों और 12 नर्सों को मुजफ्फरपुर के सिविल सर्जन को रिपोर्ट करने का निर्देश दिया गया है।

हरिवंशपुर में घर खाली कर रहे लोग

वैशाली जिले के हरिवंशपुर गांव के लोगों ने एईएस के डर से अपने घर छोड़ दिए हैं। अधिकांश परिवारों ने बीमारी के फैलने के बाद अपने बच्चों को दूसरे गांवों में भेज दिया है।मृत बच्चों के एक पिता ने कहा,"एक घंटे के भीतर एक्यूट इंसेफेलाइटिस के कारण मेरे दो बेटों की मौत हो गई। बड़ा सात साल का था जबकि छोटा दो साल का था। बीमारी के संबंध में प्रशासन द्वारा कोई जागरूकता अभियान नहीं चलाया गया था।” उन्होंने बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की आलोचना करते हुए कहा, "मुख्यमंत्री ने बीमारी के बारे में जागरूकता फैलाने के लिए कुछ नहीं किया है। बीमारी से पीड़ित बच्चों के लिए अस्पताल में कोई व्यवस्था नहीं है।"

एक अन्य व्यक्ति ने कहा, "मेरी सात वर्षीय बेटी की मृत्यु हो गई। बीमारी के बारे में प्रशासन की ओर से कोई व्यवस्था नहीं थी।" एक अन्य व्यक्ति ने कहा, "मैंने अपने दो बच्चों को दूसरे गांव में भेज दिया है क्योंकि यहां खतरा है।"

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