अनुपम बारदोलाई
असम के दीमा हसाओ जिले में उत्तर प्रदेश और गुजरात के तीन साधु मॉब लिंचिंग का शिकार होने से बच गए। बच्चा चोर समझकर लोगों ने इन्हें माहुर रेलवे स्टेशन पर घेर लिया था। यहां पहुंची पुलिस और असम राइफल्स की टीम ने इन्हें उत्तेजित लोगों से बचाया। अधिकारियों के अनुसार यह घटना भी वॉट्सऐप और सोशल मीडिया पर फैली अफवाहों की वजह से हुई।
दीमा हसाओ के पुलिस अधीक्षक प्रशांत सैकिया ने आउटलुक को फोन पर बताया कि भगवा वस्त्र पहने ये साधु गुरुवार को अगरतला के त्रिपुर सुंदरी मंदिर जा रहे थे। गाड़ी में आई खराबी की वजह से ये राजधानी गुवाहाटी से करीब तीन सौ किलोमीटर दूर माहुर में रुके थे। उन्होंने बताया कि इस साधुओं की उम्र तीस साल से कम है। त्रिपुरा जाने से पहले इन साधुओं ने कामख्या मंदिर में आयोजित सालाना अंबुबाची मेले में भाग लिया था और इसके बाद अरुणाचल प्रदेश के परशुराम कुंड गए थे।
सैकिया ने बताया कि खराब मौसम की वजह से दीमा हसाओ से सिल्चर के बीच की सड़क बंद होने की वजह से ये साधु गुवाहाटी लौट रहे थे। माहुर में गाड़ी खराब होने के बाद वे वहां के स्टेशन पर जलपान के लिए रुके थे। उन्होंने कहा कि बच्चा चोरी के वाट्सऐप पर वायरल हुए संदेशों से डरे इलाके के लोगों ने साधुओं को देखते ही शोर मचाना शुरू कर दिया। इसके बाद वहां करीब 500 लोग इकट्ठा हो गए। लेकिन रेलवे स्टेशन के पास ही सेना का कैंप होने की वजह से इन लोगों को रोक दिया गया। सैकिया ने बताया कि सेना तीनों साधुओं को सुरक्षा के लिहाज से कैंप में ले गई। इसके बाद वे गुवाहाटी रवाना हो गए।
इस घटना के बाद सोशल मीडिया पर एक वीडियो क्लिप भी वायरल हो रहा है जिसमें तीन साधुओं के हाथ पीछे की ओर बंधे हैं और कुछ सैनिक उन्हें बचाकर ला रहे हैं। हालांकि आउटलुक इस वीडियो की प्रामाणिकता की पुष्टि नहीं करता है।
यह घटना असम के कार्बी आंगलोंग जिले में नीलोत्पल दास (29 वर्ष) और अभिजीत नाथ (30 वर्ष) की भीड़ द्वारा की गई घटना के कुछ सप्ताह बाद हुई है। इन दोनों को लोगों ने बच्चा चोर समझ कर मार डाला था।