“सोलर सिटी और ईको फ्रेंडली सुविधाओं के जरिये प्रदूषण कम करके टूरिज्म को बढ़ावा देने की कोशिश”
राज्य में बौद्ध स्तूप के लिए विख्यात सांची शहर से कुछ दूर बसे बिलौरी गांव के राजीव ठाकुर को अक्सर रात में सांची आना-जाना पड़ता है पर अंधेरे की वजह से वे शहर आने से कतराते थे। अब ऐसा नहीं है। सीएम राईज स्कूल, सांची में कक्षा 9 में पढ़ने वाले राजीव कहते हैं, “पहले अंधेरा रहता था, अब सड़कों पर काफी रोशनी है। हमने सौर ऊर्जा के बारे में पढ़ा था। अब हमारे सामने पूरा सिस्टम लगा है।” दूसरे छात्र आर्यन साहू आज इस बात से खुश हैं किकोचिंग से घर जाने में लेट भी हो जाते हैं तो समस्या नहीं होती। वार्ड 10 के किराना व्यापारी गौरव सिंह कहते हैं कि पहले बिजली जाने पर हमें परेशानी होती थी। दुकान और घर के सामने अंधेरा हो जाता था। अब शाम होते ही सोलर लाइट चालू हो जाती है।
सौर ऊर्जा से जगमग करने की प्रक्रिया लगभग पांच वर्ष पूर्व शुरू हुई थी। सोलर सिटी बनाने की कड़ी में सबसे पहले सांची स्थित नागौरी की पहाड़ी पर प्लांट लगाने का निर्णय लिया गया था। पहाड़ी को मशीनों से समतल किया गया। बड़े-बड़े पत्थरों को तोड़ा गया। शुरुआत में सांची में तीन मेगावाट का प्लांट लगाया गया है, जिसे बढ़ाकर पांच मेगावाट तक ले जाया जाएगा। आठ मेगावाट की सांची सौर परियोजना में शासकीय और घरेलू भवनों पर 220 किलोवाट के सोलर रूफटॉप संयंत्र स्थापित किए गए हैं। सांची में रेलवे द्वारा 50 किलोवाट, पर्यटन में 104 किलोवाट, स्कूल शिक्षा में 13 किलोवाट, पोस्ट ऑफिस में तीन किलोवाट, पुरातत्व संग्रहालय में आठ किलोवाट, डिस्कॉम ऑफिस में दो किलोवाट, सरकारी अस्पताल में 10 किलोवाट, घरेलू स्तर पर 45 किलोवाट, यानी कुल 245 किलोवाट की रूफटॉप सोलर क्षमता निर्मित की जा चुकी है। अब इनसे 25 साल तक बिजली मिलती रहेगी।
ग्रिड कनेक्टेड सोलर संयंत्र से सांची शहर को तीन मेगावाट और सांची ग्रामीण फीडर को पांच मेगावाट बिजली दी जाएगी। इस सौर ऊर्जा से शासकीय विद्यालय, जिला सहकारी बैंक, पुलिस स्टेशन, स्कूल, घर, कृषि सभी सौर बिजली से संचालित होंगे। शासन और नागरिकों के ऊर्जा संबंधी व्यय में प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से हर साल लगभग सात करोड़ रुपये से अधिक की बचत होगी।
मध्य प्रदेश में पिछले दशक में अक्षय ऊर्जा क्षमता 11 गुना और सौर ऊर्जा 52 प्रतिशत बढ़ी है। यह राज्य की स्थापित क्षमता का 24 प्रतिशत है
इसके अलावा सांची में करीब 7,000 लोगों ने अपने घरों में सोलर स्टैंड लैंप, सोलर स्टडी लैंप, सोलर लालटेन का इस्तेमाल कर बिजली बचाने का संकल्प भी लिया है। लगभग 63 किलोवाट क्षमता के सौर संयंत्र घरेलू छतों पर लगाए गए हैं। शहर के केंद्र और राज्य सरकार के कार्यालयों और प्रतिष्ठानों का एनर्जी ऑडिट भी करवाया गया है। प्रतिवर्ष संयंत्रों के उपयोग से करीब 22 लाख रुपये के बिजली के बिल कम होंगे। मेडिकल दुकान के संचालक सत्येंद्र सोनी कहते हैं, “सौर ऊर्जा को किताबों में ही पढ़ा था। अब देख भी लिया। घरों में सौर ऊर्जा से उपकरण चलेंगे तो बिजली खर्च में कमी आएगी।”
सांची शहर को सोलर सिटी के रूप में विकसित करने के साथ ही ईको फ्रेंडली सुविधाओं के जरिये पर्यावरण प्रदूषण को कम करके टूरिज्म को आकर्षित करने की कोशिश की गई है। ‘व्यक्तिगत सामाजिक दायित्व’ की भागीदारी से विभिन्न स्थानों पर सोलर वॉटर कियॉस्क स्थापित किया है, इससे सार्वजनिक सुविधाओं में बढ़ोतरी होगी। सांची स्तूप पर आवागमन के लिए गोल्फ कार्ट की व्यवस्था की गई है।
लोगों को इलेक्ट्रिक वाहनों के उपयोग के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है। शहर में चार नग बैटरी-चलित ई-रिक्शा चलेंगे, जिनसे किसी भी प्रकार का प्रदूषण नहीं होता। देश में इलेक्ट्रिक गाड़ियों के लिए सुविधाएं तेजी से बढ़ रही हैं और यह सस्ती भी हो रही हैं। शहर में दो बैटरी-चलित कचरा वाहन भी चलेंगे। ई-व्हीकल चार्जिंग स्टेशन जिसमें चार कमर्शियल चार्जिंग पॉइंट तथा तीन ई-रिक्शा चार्जिंग पॉइंट हैं, स्थापित किए गए हैं। शहर में सौर ऊर्जा के प्रति जागरूकता एवं उपयोग के लिए विभिन्न ऑफग्रिड संयंत्रों की स्थापना की गई है, जिनमें सोलर वॉटर कियॉस्क, सोलर स्टड, सोलर हाईमास्ट, सोलर ट्री, वर्टिकल ऐक्सिस, विंड टर्बाइन शामिल हैं। सांची शहर नेट जीरो सिटी बनते ही उसके आसपास के गांव ईको फ्रेंडली बन सकेंगे।
रायसेन जिले में स्थित विश्व धरोहर स्मारक स्थल सांची को प्रथम सोलर सिटी के रूप में लोकार्पित करते हुए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि कोयले और अन्य साधनों से बिजली के उत्पादन का पर्यावरण पर दुष्प्रभाव पड़ता है। पारंपरिक माध्यमों को छोड़कर प्रकृति को नुकसान पहुंचाए बिना सौर ऊर्जा उत्पादन की शुरुआत के लिए सांची के नागरिक, नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा विभाग और सभी वैज्ञानिक बधाई के पात्र हैं। प्रमुख सचिव, ऊर्जा संजय दुबे ने कहा कि सांची एक आदर्श सोलर सिटी की पहचान बनाएगा। सांची में वार्षिक सात करोड़ 68 लाख रुपये की बचत होगी।
जलवायु परिवर्तन के कारण पर्यावरण में गैसीय उत्सर्जन की निरंतर बढ़ोतरी हो रही है। गैसीय उत्सर्जन की बढ़ोतरी का प्रमुख कारण पारंपरिक ऊर्जा के साधन हैं, जो फॉसिल फ्यूल आधारित है। अक्षय ऊर्जा/ग्रीन ऊर्जा एवं ऊर्जा संरक्षण ही विकल्प है, जिससे गैसीय उत्सर्जन को सीमित रखा जा सकता है। भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आइआइटी) मुंबई के ऊर्जा विज्ञान और इंजीनियरिंग विभाग के प्रो. चेतन सिंह सोलंकी ने कहा कि सांची को सोलर सिटी बनाने के लिए मध्य प्रदेश ऊर्जा विकास निगम लिमिटेड के प्रयास सराहनीय हैं।
सांची सोलर सिटी में सालाना लगभग 13747 टन कार्बन डाई ऑक्साइड के उत्सर्जन में कमी आएगी जो कि लगभग 2.3 लाख वयस्क वृक्षों के बराबर है
मध्य प्रदेश में पिछले दशक में अक्षय ऊर्जा क्षमता 11 गुना बढ़ी है। यह राज्य की स्थापित क्षमता का लगभग 24 प्रतिशत है। सौर ऊर्जा क्षमता 52 प्रतिशत बढ़ी है। वर्तमान में 1000 मेगावॉाट क्षमता के सौर पार्क संचालित हैं और 1778 मेगावाट के पार्क जल्द ही शुरू हो जाएंगे। साथ ही 3350 मेगावाट क्षमता की परियोजनाएं लागू होने की प्रारंभिक स्थिति में हैं। इनमें एक हजार मेगावाट क्षमता की सोलर पार्क परियोजनाएं, 250 मेगावाट का मंदसौर सोलर पार्क, 750 मेगावाट का रीवा सोलर पार्क शामिल हैं। रीवा मेगा पार्क को नवाचारी प्रयासों की वजह से कई पुरस्कार मिले हैं। इसने प्रति इकाई 2.97 रुपये की न्यूनतम मूल्य दर हासिल की है। इसे विश्व बैंक के प्रेसिडेंट अवॉर्ड से सम्मानित किया गया है।
वर्तमान में 1778 मेगावाट क्षमता की सौर ऊर्जा परियोजनाओं में 1500 मेगावाट की आगर मालवा, शाजापुर और नीमच सोलर पार्क और 500 मेगावाट की नीमच पार्क परियोजना शामिल है। भविष्य की परियोजनाओं में विश्व के सबसे बड़े ओंकारेश्वर जलाशय में 600 मेगावाट का फ्लोटिंग सोलर पार्क शामिल है। इससे साल के अंत तक पूरी तरह से उत्पादन शुरू हो जाएगा। इसके अलावा 3350 मेगावाट क्षमता की परियोजनाओं में 1400 मेगावाट की मुरैना और 450 मेगावाट की छतरपुर पार्क और बीर सिंहपुर जलाशय, इंदिरा सागर जलाशय और गांधीसागर जलाशय में 1500 मेगावाट की फ्लोटिंग सोलर परियोजनाएं शामिल हैं।
पृथ्वी के सतह के तापमान को नियंत्रित करने के अंतरराष्ट्रीय स्तर पर किए जा रहे प्रयासों की दिशा में यह महत्वपूर्ण प्रयास है। सांची सोलर सिटी में सालाना लगभग 13747 टन कार्बन डाई ऑक्साइड के उत्सर्जन में कमी आएगी जो कि लगभग 2.3 लाख वयस्क वृक्षों के बराबर है।
कर्क रेखा के समीप स्थित सांची नगरी- जहां सम्राट अशोक ने बौद्ध अध्ययन और शिक्षा केंद्र के रूप में सांची स्तूप बनवाया, जहां से संघमित्रा और महेंद्र ने भगवान बुद्ध के शांति के संदेश को समूचे विश्व में प्रसारित करने के लिए प्रस्थान किया- आज जलवायु परिवर्तन के संकट से जूझ रही मानवता को प्रकृति के साथ शांति का संदेश देने को तैयार है।