समाज में अक्सर भेदभाव और अपमान का सामना करने वाले ट्रांसजेंडर समुदाय के लिए एक बहुत ही अच्छी खबर है। और वो ये है कि कर्नाटक कैबिनेट ने ट्रांसजेंडर के लिए राज्य की नीति, 2017 को मंजूरी दे दी है, जिसका लक्ष्य समुदाय के सदस्यों को एक सुरक्षित जीवन प्रदान करना है।
कानून मंत्री टी.बी जयचंद्र ने कैबिनेट बैठक के बाद यहां गुरुवार को संवाददाताओं को बताया कि सुप्रीम कोर्ट के एक आदेश के अनुपालन में इस नीति का मसौदा तैयार किया गया था। न्यूज़ एजेंसी पीटीआइ के मुताबिक, जयचंद्र ने बताया कि इस समुदाय के लोगों को असुरक्षा, भेदभाव, अपमान का सामना करना पड़ता है, ऐसे में इस नीति का लक्ष्य उन्हें समाज की मुख्यधारा में लाना है।
ट्रांसजेंडर के लिए राज्य की नीति, 2017 को मंजूरी मिलने के बाद यह भेदभाव रहित मैत्री नीति के संकेतकों की व्याख्या करने के साथ ही राज्य ट्रांसजेंडर समुदाय को ‘सर्व शिक्षा अभियान’, शिक्षा का अधिकार और साक्षरता बढ़ाने वाले प्रयासों में शामिल करने का विचार पेश करता है।
इस नीति में ‘जोगप्पा, जिजरा, महिला से पुरुष, पुरुष से महिला, इंटर-सेक्स, कोथी, जोगतास, शिवशक्ति और अरावनी’ सहित ट्रांसजेंडरों के विभिन्न वर्गों का उल्लेख किया गया है। इस नीति का उद्देश्य राज्य के सभी शैक्षणिक संस्थानों में ट्रांसजेंडर समुदाय के बारे में जागरूकता फैलाना, आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं के जरिए ऐसे परिवारों तक पहुंचकर ट्रांसजेंडर बच्चों के बारे में उन्हें संवेदनशील बनाना, ट्रांसजेंडरों के खिलाफ भेदभाव, लैंगिक दुर्व्यवहार और हिंसा जैसी समस्याओं के समाधान के लिए शैक्षणिक संस्थानों में निगरानी समिति या प्रकोष्ठ का निर्माण करना है।
बता दें कि हाल ही में आंध्र प्रदेश सरकार ने भ्ाी ट्रांसजेंडरों के लिए कई कल्याणकारी कदमों की घोषणा की थी। इसके तहत उन्हें प्रति माह 1000 रुपये पेंशन दिया जाना भी शामिल है।