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बढ़ीं हुड्डा की मुश्किलें, सीबीआई ने दर्ज किया मामला

हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपिंदर सिंह हुड्डा के खिलाफ सीबीआई ने राज्य में औद्योगिक भूखंडों के आवंटन में कथित अनियमितता के लिए एक मामला दर्ज किया है। उस समय हुड्डा हरियाणा शहरी विकास प्राधिकार (हुडा) के अध्यक्ष थे। हुड्डा ने सीबीआई की कार्रवाई को व्यक्तिगत प्रतिशोध बताया।
बढ़ीं हुड्डा की मुश्किलें, सीबीआई ने दर्ज किया मामला

हरियाणा के सतर्कता ब्यूरो ने पंचकूला में औद्योगिक भूखंडों के आवंटन का यह मामला सीबीआई को सौंपा था। इस मामले में हुडा के तत्कालीन अध्यक्ष, तीन पूर्व नौकरशाह, 13 लाभार्थियों और प्राधिकार तथा राज्य सरकार के अज्ञात अधिकारियों का नाम लिया गया है। हरियाणा के मुख्यमंत्री हुडा के अध्यक्ष होते हैं। सीबीआई ने 16 मई को मामला दर्ज करने के बाद पूर्व नौकरशाहों और उन लाभार्थियों के खिलाफ 16 स्थानों पर छापे मारे थे जिन्होंने पंचकूला में औद्योगिक भूखंड हासिल करने के लिए कथित तौर पर अपने संपर्कों का इस्तेमाल किया था। इन स्थानों में चंडीगढ़, पंचकूला, फरीदाबाद, दिल्ली, गुडगांव, करनाल, कुरूक्षेत्र और रोहतक शामिल हैं। हुडा के अध्यक्ष के अलावा प्राथमिकी में सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारी डीपीएस नगल, एस सी कंसल और बी बी तनेजा के भी नाम हैं। मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने राज्य सतर्कता ब्यूरो को पंचकूला भूखंड मामले में प्राथमिकी दर्ज करने का आदेश दिया था। यह मामला भ्रष्टाचार निवारण कानून और भारतीय दंड संहिता की विभिन्न धाराओं के तहत दर्ज किया गया है।

 

सीबीआई द्वारा दर्ज की गई प्राथमिकी के अनुसार कथित रूप से आवंटन प्रावधानों का उल्लंघन कर 14 लोगों को औद्योगिक भूखंड दिए गए। इनमें आवेदन की आखिरी तारीख समाप्त होने के बाद भी आवेदन जमा करने देने की अनुमति देना शामिल है। प्राथमिकी में आरोप लगाया गया है कि जिन 14 लोगों को औद्योगिक भूखंड आवंटित किए गए, उन्होंने अपने आवेदन 24 जनवरी 2012 को जमा कराए थे जबकि इसकी आखिरी तारीख छह जनवरी 2012 थी। सीबीआई के कदम पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए पूर्व मुख्यमंत्री ने इसे व्यक्तिगत प्रतिशोध बताया और आरोप लगाया कि राज्य की भाजपा नीत सरकार ध्यान भटकाने की रणनीति अपना रही है। भूपिंदर सिंह हुड्डा ने कहा, वे लोग अब तक किए गए वायदों में से एक भी पूरा नहीं कर सके इसलिए वे ऐसे मामलों के जरिये लोगों का ध्यान बंटा रहे हैं। उन्होंने इसे प्रतिशोध की कार्रवाई बताते हुए कहा, राज्य सरकार पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय के आदेश की प्रतीक्षा कर सकती थी जहां मामला पहले से ही लंबित है।

 

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