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निजी अस्पतालों में निशुल्क जांच पर एलजी और सरकार आमने सामने

डोर स्टेप डिलीवरी सर्विसेज के बाद अब मोहल्ला क्लीनिक में मुफ्त जांच के मामले में दिल्ली सरकार और...
निजी अस्पतालों में निशुल्क जांच पर एलजी और सरकार आमने सामने

डोर स्टेप डिलीवरी सर्विसेज के बाद अब मोहल्ला क्लीनिक में मुफ्त जांच के मामले में दिल्ली सरकार और उपराज्यपाल आमने सामने हैं। सरकार का कहना है कि एलजी साहब ने मोहल्ला क्लीनिक, और प्राइवेट अस्पताल में जांच के लिए इनकम लिमिट लगाने को कहा है जो सीधे तौर पर अडंगा लगाने की बात है जबकि उपराज्यपाल ने सरकार के आरोप को सिरे से खारिज करते हुए कहा है योजना और वित्त विभाग की सिफारिशों के आधार पर यह सुझाव दिया गया योजना से मध्य वर्ग को बाहर करने की सलाह कभी नहीं दी।

दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र ने प्रेस कांफ्रेस कर कहा कि सभी क्लास के लिए बेहतर हेल्थ सुविधा देने का प्रपोजल कैबिनेट ने पास किया था। मोहल्ला क्लीनिक में फ्री टेस्ट के लिए एलजी ऑफिस को फ़ाइल भेजी थी। एमआरआई के अलावा तमाम टेस्ट प्राइवेट अस्पताल या लैब में कराने की योजना चल रही थी। 50 अस्पतालों में 50 तरह की सर्जरी की योजना चल रही थी, यह स्कीम बजट में पेश भी की गई थी। इसका सारा खर्चा सरकार उठाती थी लेकिन उपराज्यपाल  ने मोहल्ला क्लीनिक, और प्राइवेट अस्पताल में टेस्ट के लिए इनकम लिमिट लगाने को कहा है। इनकम लिमिट लगाना मुमकिन नही है। इसके लिए मरीज से सर्टिफिकेट बनाना पड़ेगा, एसडीएम के चक्कर काटने पड़ेंगे।

स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि  एमआरआई कराने में तीन हजार रुपये लगते हैं और साल भर की वेटिंग होती है जबकि दिल्ली सरकार की स्कीम में कोई फीस नही देना है और टेस्ट भी जल्दी हो जाते हैं। इस तरह की स्कीम के लिए केंद्र से कोई मदद नही मांगी गई है। मोहल्ला क्लीनिक में इनकम क्राइटेरिया लगाना गलत है। दिल्ली में कुल 160 एमआरआई मशीन है। एलनजीपी में एक साल की वेटिंग है जिसे खत्म करने के लिए फैसला लिया गया था। उपराज्यपाल ने डोर-टू-डोर सर्विस स्किम को अटकाने के बाद  सरकार की स्वाथ्य योजना पर अडंगा लगा दिया है। सरकार का मानना है कि इनकम लिमिट नहीं लगानी चाहिए। इनकम क्राइटेरिया लगाएंगे तो स्टाफ भी भर्ती करने पड़ेंगे, इसमे सालो लग जाएंगे।  

उधर, उपराज्यपाल अनिल बैजल का कहना है कि सरकार के सकारात्मक पहल का हमेशा समर्थन किया है। क्या सरकार के पास असीमित संशाधन है? इसलिए यह महत्वपूर्ण हो जाता है कि सरकारी संशाधनों का पहले गरीब और जरूरतमंद उपयोग करें। समाज के समृद्ध वर्गों को गरीबों से वंचित नहीं किया जा सकता। क्या करदाताओं के पैसों का इस्तेमाल अमीरों को वित्तीय सहायता प्रदान करने के लिए किया जाना चाहिए।  मीडिया में आय प्रमाण पत्र प्राप्त करने की कठिनाइयों के बारे में मुद्दों को उठाया गया है लेकिन इन योजनाओं का लाभ उठाने के लिए कभी आय प्रमाण पत्र की आवश्यकता की शर्त नहीं लगाई है। ऐसा प्रतीत हो रहा है कि सरकार के लिए यह आसान तरीका है कि स्वयं के प्रमाणिकरण के आधार पर निवासी इस योजना का लाभ उठाएं। सरकार को लोगों पर भरोसा करना चाहिए और आय प्रमाण पत्र की कोई आवश्यकता नहीं होनी चाहिए।

 

 

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