विगत सात फरवरी को उत्तराखंड विधानसभा द्वारा पारित समान नागरिक संहिता विधेयक, राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू द्वारा इस पर अपनी सहमति देने के साथ एक कानून बन गया है। इसी के साथ आजादी के बाद यूसीसी अपनाने वाला उत्तराखंड देश का पहला राज्य बन गया है।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने एक्स पर पोस्ट में कहा, "यह राज्य के लोगों के लिए बहुत खुशी और गर्व का क्षण है कि हमारी सरकार द्वारा उत्तराखंड विधानसभा में पारित समान नागरिक संहिता विधेयक को माननीय राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मू द्वारा मंजूरी दे दी गई है।"
उत्तराखंड सरकार की एक गजट अधिसूचना में कहा गया है कि राष्ट्रपति ने 11 मार्च को भारत के संविधान के अनुच्छेद 201 के तहत समान नागरिक संहिता, उत्तराखंड, 2024 को अपनी सहमति दी।
धामी ने कहा, "राज्य में समान नागरिक संहिता कानून लागू होने से सभी नागरिकों को समान अधिकार मिलने के साथ-साथ महिलाओं के उत्पीड़न पर भी अंकुश लगेगा। समान नागरिक संहिता सामाजिक समानता के महत्व को साबित करके सद्भाव को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी।"
उन्होंने कहा कि राज्य सरकार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दृष्टिकोण के अनुरूप नागरिकों के हितों की रक्षा और उत्तराखंड के आवश्यक चरित्र को बनाए रखने के लिए प्रतिबद्ध है। प्रदेश भाजपा अध्यक्ष महेंद्र भट्ट ने भी यूसीसी को राष्ट्रपति की मंजूरी पर खुशी जताई। उन्होंने कहा, "यह सभी नागरिकों को समान अधिकार देगा।"
उत्तराखंड भाजपा मीडिया प्रभारी मनवीर चौहान ने कहा कि यह 2022 के राज्य विधानसभा चुनावों से पहले राज्य के लोगों के लिए पार्टी द्वारा की गई एक बड़ी प्रतिबद्धता की पूर्ति है।