पलामू के दरोगा लालजी यादव की मौत को लेकर झारखंड में बवाल मचा हुआ है। निलंबन में चल रहे नावाबाजार के थाना प्रभारी लालजी यादव का 11 जनवरी को नावाबाजार थाना परिसर के आवास में पंखे से झूलता शव मिला था। परिजनों ने हत्या का आरोप लगाया। विरोध में जनता सड़क पर उतरी, पलामू के एसपी, एसडीपीओ और डीटीओ के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज हुई, सरकार ने सीआइडी से जांच का फैसला किया। वहीं केंद्रीय मंत्री, कोडरमा सांसद अन्नपूर्णा देवी, विधायक नीरा यादव इसी मसले को लेकर रविवार शाम राजभवन पहुंचीं और राज्यपाल से मुलाकात कर संदिग्ध आत्महत्या की सीबीआई से जांच की मांग की। कई सांसद, विधायक और हेमन्त सरकार में मंत्री मिथिलेश ठाकुर मामले को उठा चुके हैं।
अन्नपूर्णा देवी ने राज्यपाल रमेश बैस से कहा कि लालजी यादव ने अपने थाना क्षेत्र में अवैध उत्खनन में डीटीओ द्वारा वाहनों से हो रही अवैध वसूली को रोकने की कोशिश की। ऐसे में उन्हें प्रशासनिक दबाव में निलंबित होना पड़ा, यह राज्य सरकार की कार्यशैली पर सवाल है। सीआइडी निष्पक्ष जांच नहीं कर सकती। लालजी यादव के परिजन ने उनके तथाकथित आत्महत्या को मानने से इनकार किया है। जिस प्रकार से उनके मृतक शरीर के संबंध में सूचना देने, उसके पोस्टमार्टम कराने एवं आत्महत्या के संबंधित तथ्यों से परिजन संतुष्ट नही है। परिजन इसे अपराधी,माफिया और प्रशासन के नापाक गठबंधन के कारण हुई हत्या मान रहे।
यह है मामला
निलंबन में चल रहे पलामू के नावाबाजार थाना प्रभारी की थाना परिसर स्थित आवास में 11 नवंबर को पंखे से लटका शव मिला था। लालजी प्रसाद का मोबाइल परिजनों को बंद मिला तब परिजनों ने थाना को इसकी जानकारी दी। थाना के पुलिसकर्मी उनके आवास पहुंचे तब उन्हें पंखे से झूलता पाया। मामला संदिग्ध होने की भनक लगते ही ग्रामीणों ने मौके पर पहुंचकर थाना का घेराव कर दिया, मेदिनीनगर-औरंगाबाद एनएच को 16 घंटे तक जाम रखा। लोग एसपी के विरोध में नारेबाजी कर रहे थे। 2012 बैच के दरोगा लालजी मूलत: साहिबगंज जिला के रहने वाले थे। इसी माह छह जनवरी को पलामू के जिला परिवहन पदाधिकारी (डीटीओ) के साथ दुर्व्यवहार को लेकर एसपी चंदन कुमार सिन्हा ने निलंबित कर दिया था।
मौत के तत्काल बाद पलामू रेंज डीआइजी का बयान आया कि अपनी पुरानी पोस्टिंग वाले रांची के बुढ़मू थाना का चार्ज देकर सोमवार को लौटे थे। चार्ज देने में बाइक और मोबाइल मिसिंग था। इससे वे परेशान थे। बाद में पुलिस का एक पक्ष यह भी आया कि कुछ भी मिसिंग नहीं था। मौत की खबर मिलते ही परिजनों ने हत्या की आशंका जाहिर करते हुए मुख्यमंत्री से सीबीआई जांच की मांग की थी। परिजनों के आग्रह के बावजूद शव का दोबारा पोस्टमार्टम नहीं हुआ। अगले दिन साहिबगंज में भी मानव श्रृंख्ला बनाकर विरोध प्रदर्शन किया गया। विवाद में पलामू के भाजपा सांसद पूर्व डीजीपी विष्णु दयाल राम भी कूदे। सीबीआई जांच की मांग की। कहा कि मौत के पूर्व लालजी कई पुलिसकर्मियों से कहते सुने गये कि वे मुह खोल देंगे तो बड़े-बड़े पुलिस अधिकारियों के चेहरे बेनकाब हो जायेंगे। लालजी के श्वसुर का कहना था कि एसपी और डीटीओ अवैध वसूली कराना चाहते थे। इनकार करने के कारण हत्या हुई। लालजी यादव के छोटे भाई संजीत ने पलामू डीआइजी को इसी तरह का आवेदन देकर पूरे मामले में एसपी की संलिप्तता का आरोप लगाते हुए जांच की मांग की। कहा कि पिछले कुछ दिनों ने एसपी अवैध बालू, गिट्टी वाले ट्रकों को चलवाने का दबाव बना रहे थे, अवैध वसूली चाहते थे। हेमन्त सरकार में मंत्री मिथिलेश ठाकुर ने भी मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर घटना से उपजी विवादास्पद स्थिति के पटाक्षेप के लिए उच्चस्तरीय जांच की मांग की। कहा कि बिहार के एक कारोबारी के अपहरण 10 लाख फिरौती के बावजूद ड्राइवर सहित हत्या की घटना को भी इससे जोड़कर देखा जा रहा है।
राजमहल सांसद विजय हांसदा और राजमहल के ही विधायक अनंत ओझा भी मामले में कूदे और साजिश के तहत हत्या का आरोप लगाया।13 जनवरी को अंतिम संस्कार के दौरान भी साहिबगंज में जमकर लोगों ने विरोध प्रदर्शन किया। उस दौरान मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन के विधायक प्रतिनिधि सह झामुमो के केंद्रीय सचिव पंकज मिश्र निष्पक्ष जांच, मुआवजा, आश्रित को नौकरी और प्रतिमा लगवाने, मुख्यमंत्री से मिलवाने का आश्वासन दिया। अंतत: घटना के तीन-चार दिनों के बाद लालजी यादव पत्नी पूजा के आवेदन पर साहिबगंज में पलामू के एसपी, एसडीपीओ और डीटीओ के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कर ली गई है। जिसमें उन्होंने आरोप लगाया है कि कुछ दिनों से पलामू एसपी उन पर अवैध गिट्टी लदे ट्रक और ट्रैक्टर चलने की छूट देने और अवैध वसूली के लिए दबाव दे रहे थे। ऐसा नहीं करने पर निलंबित करने और हत्या की धमकी दी जाती थी। घटना के दिन भी पति से फोन पर उन्हें सारी बात बताई थी।
पलामू डीटीओ के खिलाफ शिकायत में कहा है कि वे मेरे पति को अवैध बालू से लदी गाड़ी थाना के बाहर रखने को कहा था, एसडीपीओ ने भी फोन कर कहा था। धमकी दी थी कि गाड़ी बाहर नहीं रखोगे तो एसपी से कहकर निलंबित करा दूंगा और बाद में निलंबित भी करा दिया। लालजी यादव के भाई संजीत परिजनों के साथ राज्यपाल से मिलकर ज्ञापन दे पूरी जानकारी दी है। सीबीआई जांच की मांग की है। बढ़ते राजनीतिक दबाव के बीच अब देखना है कि इस मामले में राजभवन या सरकार का अगला कदम क्या होता है।