उत्तर प्रदेश सरकार ने विवाह पंजीकरण अनिवार्य कर दिया है। कहा गया है कि इसके तहत किसी धार्मिक रीति रिवाज में कोई दखलंदाजी नहीं की गई है। इस पंजीकरण में निकाह भी शामिल है। राज्य के मुस्लिम संगठनों ने इस फैसले का स्वागत किया है।
पीटीआई के मुताबिक, बुधवार को उत्तर प्रदेश सरकार कैबिनेट ने उत्तर प्रदेश विवाह पंजीकरण नियमावली 2017 को मंजूरी दे दी है। इस फैसले के लागू होने के बाद अब सभी वर्गों को पंजीकरण कराना जरूरी होगा। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट मीटिंग में यह फैसला हुआ। यह रजिस्ट्रेशन ऑनलाइन होगा और पति-पत्नी को अपना आधार नंबर भी देना होगा।
ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के जफरयाब जिलानी ने कहा कि हमें शादियों के पंजीकरण को अनिवार्य बनाने से कोई दिक्कत नहीं है लेकिन यह प्रावधान नहीं होना चाहिए कि अगर रजिस्ट्रेशन नहीं तो शादी मान्य नहीं।
ऑल इंडिया मुस्लिम वीमेन पर्सनल लॉ बोर्ड की अध्यक्ष राबिया संदल ने कहा कि ये स्वागत योग्य है और इससे मुस्लिम औरतों में सुरक्षा की भावना आएगी।
प्रदेश के महिला कल्याण विभाग की प्रमुख सचिव रेणुका कुमार ने बताया कि इस विवाह पंजीकरण के लिये किसी वकील की जरूरत भी नही पड़ेगी। लोग घर बैठे अपने कंप्यूटर पर अपनी शादी का पंजीकरण करा सकते है। इसके लिये स्टांप और निबंधन विभाग की वेबसाइट पर विवाह पंजीकरण पेज पर जाकर व्यक्ति को और अपनी पत्नी का आधार नंबर डालना होगा। उसके बाद उसके आधार से रजिस्टर्ड मोबाइल पर एक वन टाइम पासवर्ड (ओटीपी) आयेगा। इस पासवर्ड को पंजीकरण पेज पर डालना होगा। जैसे ही ओटीपी डाला जायेगा उस व्यक्ति और उसकी पत्नी का पूरा विवरण विवाह पंजीकरण फार्म में अपने आप आ जायेगा जो कि आधार कार्ड में दर्ज है। यहां तक कि दोनों की फोटो भी आ जायेगी।
कैबिनेट मंत्री सिद्धार्थ नाथ सिंह ने कहा, 'सभी धर्मों के लोगों से सलाह-मशविरा किया गया है। धर्म विशेष के लोगों का कहना था कि निकाहनामे में फोटो का इस्तेमाल नहीं होता है। इस पर सरकार का कहना था कि अगर आपको आधार-कार्ड, वोटर आई डी कार्ड में फोटो से कोई दिक्कत नहीं है तो इसमें क्या दिक्कत है?'