अक्षय तृतीया के पावन अवसर पर उत्तराखंड में चारधाम यात्रा 2025 का विधिवत शुभारंभ हो गया है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की उपस्थिति में मंगलवार को श्री यमुनोत्री और श्री गंगोत्री धाम के कपाट श्रद्धालुओं के दर्शनार्थ खोल दिए गए। इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने श्री गंगोत्री धाम पहुंचकर पूजा-अर्चना की और प्रदेशवासियों व देशभर से आए श्रद्धालुओं को शुभकामनाएं दीं।
इससे पहले सुबह मुख्यमंत्री धामी ने अपने एक्स (पूर्व ट्विटर) पोस्ट में लिखा था, "अक्षय तृतीया के पावन अवसर पर आज श्री यमुनोत्री और श्री गंगोत्री धाम के कपाट खोले जाएंगे। चारधाम यात्रा आज से प्रारंभ हो रही है। मां गंगा-यमुना आप सभी को आशीर्वाद दें।"
इस शुभ दिन पर श्री गंगोत्री मंदिर को विशेष रूप से पुष्पों से सजाया गया। कपाट खुलते ही धाम परिसर भक्तिमय वातावरण से भर गया और श्रद्धालुओं की भीड़ भगवान के दर्शन के लिए उमड़ पड़ी।
अक्षय तृतीया: पुण्य, परंपरा और समृद्धि का प्रतीक
अक्षय तृतीया हिंदू और जैन समुदायों के लिए अत्यंत शुभ तिथि मानी जाती है। संस्कृत में 'अक्षय' का अर्थ है – "जो कभी क्षय न हो।" इस दिन किए गए पुण्य कार्य, दान, जप-तप या निवेश का फल चिरस्थायी माना जाता है। यह दिन विवाह, नए कार्य प्रारंभ करने, व्यापार आरंभ करने और स्वर्ण-धातुओं की खरीद के लिए विशेष रूप से शुभ होता है।
यह तिथि वैशाख शुक्ल पक्ष की तृतीया को आती है, और इस वर्ष 30 अप्रैल को मनाई गई। इस दिन सूर्य और चंद्रमा दोनों अपनी उच्चतम ज्योतिषीय स्थिति में होते हैं, जिससे इसका महत्व और बढ़ जाता है। कई स्थानों पर इसे 'अखा तीज' के नाम से भी जाना जाता है।
पौराणिक प्रसंगों से जुड़ी मान्यताएं
मान्यता है कि अक्षय तृतीया के दिन ही त्रेता युग का आरंभ हुआ था। साथ ही यह भगवान विष्णु के छठे अवतार परशुराम की जयंती के रूप में भी मनाया जाता है। एक अन्य प्रसिद्ध कथा के अनुसार, इस दिन भगवान श्रीकृष्ण ने द्रौपदी को अक्षय पात्र प्रदान किया था, जिससे वनवास के दौरान भोजन की कभी कमी नहीं हुई।
चारधाम यात्रा का यह शुभारंभ उत्तराखंड के धार्मिक पर्यटन और श्रद्धालु भावनाओं के लिए एक महत्वपूर्ण क्षण है। अब आने वाले दिनों में केदारनाथ और बद्रीनाथ धाम के कपाट भी विधिवत रूप से खोले जाएंगे, जिसके साथ चारधाम यात्रा अपने पूर्ण स्वरूप में आगे बढ़ेगी।