देहरादून। सरकार को आशंका है कि देवभूमि उत्तराखंड में अगले दिनों में हिंसा की वारदातों में बढ़ोतरी हो सकती है। इससे सरकार की पेशानी पर बल हैं। सरकार ने इस आशंका से निजात पाने के लिए रासुका का इस्तेमाल करने का फैसला किया है। सरकार ने सभी डीएम को तीन माह तक अपने स्तर से रासुका लगाने का अधिकार दिया है।
ऊधमसिंह नगर में हिंसा और फिर रुड़की में एक चर्च पर हमले के बाद सरकार चौकन्ना हो गई है। सरकार ने तय किया है कि आने वाले दिनों में हिंसा की वारदातों के बढ़ने की आशंका चलते कड़े कदम उठाए जाएं। इसी क्रम में गृह विभाग ने एक आदेश जारी किया है। इसमें रासुका के प्रभावी इस्तेमाल की बात की गई है।
मुख्यमंत्री के अपर मुख्य सचिव (गृह) आनंद वर्धन की ओर से चार अक्टूबर को एक आदेश जारी किया गया है। इसमें कहा गया है कि पिछले दिनों उत्तराखंड के कतिपय जिलों में हिंसा की घटनाएं हुईं हैं। प्रतिक्रिया स्वरूप राज्य के अन्य हिस्सों में भी ऐसी घटनाएं हुईं हैं। अब राज्य के अन्य भागों में ही इसी तरह की घटनाएं होने की संभावना है। समाज विरोधी तत्व राज्य की सुरक्षा, लोक व्यवस्था और समुदायों को दी जा रही सुविधाओं का प्रतिकूल क्रिया-कलापों में भाग ले रहे हैं।
आदेश में कहा गया है कि संभावित हालात को देखते हुए सरकार का यह समाधान हो गया है कि ऐसा करना जरूरी है। लिहाजा राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम (रासुका) की धारा तीन की उपधारा दो के तहत मिली शक्तियों का प्रयोग करने के लिए राज्य के सभी डीएम को अधिकृत किया जाता है। फिलहाल सभी डीएम तीन माह यानि 31 दिसंबर तक रासुका लगाने के अधिकार का इस्तेमाल कर सकते हैं।