प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को चमोली के माणा गांव में 3400 करोड़ रुपये से अधिक की कनेक्टिविटी परियोजनाओं की आधारशिला रखी। इस परियोजना में गौरीकुंड को केदारनाथ और गोविंदघाट को हेमकुंड साहिब से जोड़ने वाली दो नई रोपवे परियोजना भी शामिल है। रोपने सुविधा के बनने से इन तीर्थ स्थलों पर जाने वाले सभी श्रद्धालुओं को आवागमन में सुविधा होगी।
परियोजना को की आधारशिला रखने के बाद पीएम मोदी ने वहां एक सभा की भी सम्बोधित किया। सभा को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि माणा गांव भारत के अंतिम गांव के रूप में जाना जाता है लेकिन मेरे लिए सीमा पर बसा हर गांव देश का पहला गांव है। सीमा पर बसे आप जैसे सभी साथी देश के सशक्त प्रहरी है।
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि यह दशक नए भारत के इतिहास में बड़ी सफलता का प्रतीक होगा। उन्होने कहा, “21वीं सदी के विकसित भारत के निर्माण के दो प्रमुख स्तंभ हैं पहला अपनी विरासत पर गर्व और दूसरा विकास के लिए हर संभव प्रयास। आज उत्तराखंड इन दोनों ही स्तंभों को मजबूत कर रहा है।”
परियोजना के शिलान्यास पर खुशी जाहिर करते हुए श्री मोदी ने कहा कि आज मुझे दो रोपवे परियोजना के शिलान्यास का सौभाग्य मिला। इससे केदारनाथ और हेमकुंड साहिब के दर्शन करना और आसान हो जाएगा। इसका निर्माण न केवल कनेक्टिविटी प्रदान करने के लिए है, बल्कि यह राज्य में आर्थिक विकास को गति देगा।
प्रधानमंत्री ने आगे कहा कि लंबे समय तक हमारे यहां अपने आस्था स्थलों के विकास को लेकर एक नफरत का भाव रहा है। विदेशों में वहां की संस्कृति से जुड़े स्थानों की ये लोग तारीफ करते नहीं थकते थे, लेकिन भारत में इस प्रकार के काम को हेय दृष्टि से देखा जाता था।
पीएम ने प्रधानमंत्री ने गुलामी की मानसाकिता त्यागने की नसीहत देते हुए कहा, “देश की आजादी के 75 साल पूरे होने पर मैंने लाल किले पर एक आह्वान किया, ये आह्वान हैं गुलामी की मानसिकता से पूरी तरह मुक्ति का क्योंकि आजादी के इतने वर्षों बाद भी हमारे देश को गुलामी की मानसिकता ने ऐसा जकड़ा हुआ है कि प्रगति का कुछ कार्य कुछ लोगों को अपराध की तरह लगता है।”
उत्तराखंड में पीएम ने कहा कि पहले जिन इलाकों को देश की सीमाओं का अंत मानकर नजरअंदाज किया जाता था, हमने वहां से समृद्धि का आरंभ मानकर काम शुरू किया। पहले देश का आखिरी गांव जानकर जिसकी उपेक्षा की जाती थी, हमने वहां के लोगों की अपेक्षाओं पर फोकस किया।