निर्माणाधीन सिलक्यारा-बड़कोट सुरंग में फंसे 41 श्रमिकों को बाहर निकालने के लिए सुरंग के ऊपर से की जा रही लंबवत ड्रिलिंग 31 मीटर तक पहुंच चुकी है। क्षैतिज ड्रिलिंग कर रही ऑगर मशीन के टूटने के बाद वैकल्पिक रास्ता तैयार करने के लिए रविवार को सुरंग के ऊपर से लंबवत ड्रिलिंग शुरू की गई थी। वहीं, अब मौसम विभाग का पूर्वानुमान भी डरा रहा है।
सिलक्यारा में बचाव कार्यों की देखरेख कर रहे सीमा सड़क संगठन के पूर्व महानिदेशक हरपाल सिंह ने मंगलवार को बताया कि अब तक 31 मीटर लंबवत ड्रिलिंग की जा चुकी है। इसके तहत 1.2 मीटर व्यास के पाइपों को लंबवत तरीके से सुरंग के शीर्ष से नीचे की ओर डाला जाएगा। इस बीच मौसम विभाग के पूर्वानुमान ने चिंता बढ़ाई है।
मौसम विभाग के मुताबिक, आज यानी 27 और कल यानी 28 नवंबर को उत्तरकाशी में बारिश की संभावनाएं हैं। आमतौर पर आसमान में बादल छाए रहेंगे और बारिश या आंधी या धूल भरी आंधी चलने की संभावना है। ऐसा होने पर रेस्क्यू अभियान प्रभावित हो सकता है, जो अच्छे संकेत नहीं हैं।
पीएम के प्रधान सचिव डॉ. पीके मिश्रा ने सिल्कयारा सुरंग का दौरा किया और वहां फंसे श्रमिकों से बातचीत की। उन्होंने फंसे हुए श्रमिकों के परिवारों से भी बात की। उन्होंने श्रमिकों को भेजी जा रही खाद्य सामग्री की भी रिपोर्ट ली।
Uttarkashi (Uttarakhand) tunnel rescue | Principal Secretary to PM, Dr PK Mishra visited the Silkyara tunnel and communicated with the workers trapped there. He also spoke with the families of the trapped workers. He also took a report of the food items being sent to the workers. pic.twitter.com/rnPvSc4JFI
— ANI (@ANI) November 27, 2023
अंतर्राष्ट्रीय टनलिंग विशेषज्ञ, अर्नोल्ड डिक्स कहते हैं, "हम प्रगति कर रहे हैं। हम जो प्रगति कर रहे हैं उससे मुझे टीम पर बहुत गर्व महसूस हो रहा है। यह अभी तक शुरू नहीं हुआ है (मैन्युअल ड्रिलिंग)। जैसे ही यह सुरक्षित होगा, इसे शुरू किया जाएगा।"
अधिकारियों ने रविवार को बताया था कि सुरंग में फंसे श्रमिकों तक पहुंचने के लिए कुल 86 मीटर लंबवत ड्रिलिंग की जाएगी और इसमें चार दिन का समय लगेगा। सिंह ने बताया कि ड्रिलिंग के दौरान मलबे में फंस गए, अमेरिकी ऑगर मशीन के शेष बचे हिस्से भी सोमवार को तड़के बाहर निकाल लिए गए जिसके बाद श्रमिकों के लिए पहले से बनाए जा रहे रास्ते को पूरा करने के लिए अब ‘मैन्युल ड्रिलिंग’ शुरू की जाएगी। उन्होंने बताया कि इसके लिए तैयारियां चल रही हैं।
शुक्रवार को दोपहर में जब 25 टन वजनी ऑगर मशीन टूटी, उस समय तक बचावकर्मी मलबे के अंदर 47 मीटर तक भेद चुके थे और श्रमिकों तक पहुंचने के लिए केवल 10—12 मीटर ड्रिल करना ही शेष रह गया था। इस संबंध में सिंह ने कहा, ‘‘800 मीटर व्यास के पाइपों के फ्रेम तैयार कर लिए गए हैं। हम आधा मीटर से लेकर एक मीटर की दूरी लेते हुए धीरे धीरे आगे बढ़ेंगे। अगर सब कुछ ठीक रहा और कोई अड़चन नहीं आई तो मलबे का 10 मीटर का हिस्सा 24—36 घंटों में ड्रिल किया जा सकता है।'
सुरंग के सिलक्यारा छोर से 25 टन वजनी अमेरिकी ऑगर मशीन के जरिए चल रही क्षैतिज ड्रिलिंग में ताजा अवरोध शुक्रवार शाम को आया जब उसके ब्लेड मलबे में फंस गए। बचाव कार्यों के लिए उत्तराखंड की ओर से नियुक्त नोडल अधिकारी नीरज खैरवाल ने रविवार शाम सात बजे तक की स्थिति बताते हुए कहा था कि मलबे में ऑगर मशीन का केवल 8.15 मीटर हिस्सा ही निकाला जाना शेष रह गया है। सोमवार तड़के तक मशीन के सभी हिस्से मलबे से बाहर निकाल लिए गए।
मलबे में ‘मैन्युल ड्रिलिंग’ कर उसमें पाइप डालने के लिए ऑगर मशीन के सभी हिस्सों को पहले बाहर निकालना जरूरी था। यमुनोत्री राष्ट्रीय राजमार्ग पर बन रही सिलक्यारा सुरंग का एक हिस्सा 12 नवंबर को ढह गया था जिसमें उसमें काम कर रहे 41 श्रमिक फंस गए थे। उन्हें बाहर निकालने के लिए युद्ध स्तर पर कई एजेंसियों द्वारा बचाव अभियान चलाया जा रहा है।