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उत्तरकाशी रेस्क्यू अभियान में शाम तक मिल सकती है अच्छी खबर! सुरंग में 55 मीटर अंदर तक डाला जा चुका पाइप

उत्तरकाशी के सिल्क्यारा सुरंग में पिछले 17 दिनों से फंसे 41 मजदूरों को सुरक्षित बाहर निकालने का काम...
उत्तरकाशी रेस्क्यू अभियान में शाम तक मिल सकती है अच्छी खबर! सुरंग में 55 मीटर अंदर तक डाला जा चुका पाइप

उत्तरकाशी के सिल्क्यारा सुरंग में पिछले 17 दिनों से फंसे 41 मजदूरों को सुरक्षित बाहर निकालने का काम जोरों पर है। हाइटेक अभियान के साथ पारंपरिक बचाव के उपायों को भी अमल में लाया जा रहा है। रेस्क्यू ऑपरेशन में मौसम से लेकर तकनीकी आदि तमाम तरह की मुश्किलें भी सामने पेश आ रही हैं। वर्टिकल ड्रिलिंग और मैनुअल ड्रिलिंग का काम जारी है। सुरंग में मुहाने से हो रही ड्रिलिंग 55.3 मीटर तक पूरी हो गई है। यहां तक पाइप डाला जा चुका है। 

उत्तराखंड के सचिव और सिल्कयारा बचाव अभियान के नोडल अधिकारी नीरज खैरवाल कहते हैं, "अभी तक, हमने पाइप को 55.3 मीटर तक धकेल दिया है। बस थोड़ी सी दूरी बाकी है। यह 57-59 मीटर के बीच कहीं हो सकता है। अगर कोई और बाधा नहीं रही तो इसमें कुछ घंटे और लग सकते हैं। शाम तक हम उम्मीद कर रहे हैं। आइए प्रार्थना करें और बेहतरी की आशा करें।''

चिकित्सकीय सुविधाएं चाक चौबंद, सड़क की मरम्मत का काम जारी

श्रमिकों को सुरंग से निकाले जाने के बाद उन्हें तुरंत चिकित्सकीय मदद के लिए अस्पताल पहुंचाने के लिए मंगलवार को तैयारियां जारी हैं। श्रमिकों के बाहर आते ही उन्हें चिकित्सकीय सुविधा मुहैया कराने के लिए घटनास्थल से 30 किलोमीटर दूर चिन्यालीसौड़ सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में 41 बिस्तरों का अस्पताल तैयार किया गया है।

पिछले एक पखवाड़े में भारी वाहनों की नियमित आवाजाही के कारण ऊबड़-खाबड़ हो चुकी सुरंग के बाहर की सड़क की मरम्मत की जा रही है और एंबुलेंस की सुचारू आवाजाही के लिए मिट्टी की एक नयी परत बिछाई जा रही है। वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों ने सुरंग के बाहर सुरक्षा कर्मियों को निर्देश दिया कि जैसे ही श्रमिक उनके लिए तैयार किए जा रहे निकासी मार्ग से बाहर आना शुरू करें, वे तुरंत कार्रवाई में जुट जाएं।

उत्तराखंड के सीएम पुष्कर सिंह धामी ने कहा, "पीएम हर दिन श्रमिकों के बारे में विवरण एकत्र करते हैं। आज, उन्होंने श्रमिकों के रिश्तेदारों के बारे में जानकारी मांगी - उनके लिए व्यवस्था, उनके लिए आवास, उनकी स्थिति और अंदर फंसे लोगों की स्थिति। उन्हें (प्रधानमंत्री को) सारी जानकारी दे दी गई है।''

माइक्रो टनलिंग विशेषज्ञ क्रिस कूपर ने कहा, "हम अभी भी खनन कर रहे हैं। हर कोई बहुत उत्साहित और ऊर्जावान है। देखते हैं क्या होता है। हमने ऊर्ध्वाधर ड्रिलिंग बंद कर दी है और ध्यान मैन्युअल ड्रिलिंग पर है।" जियो के कर्मचारी वर्टिकल ड्रिलिंग करने वालों की मदद कर रहे हैं। इस वर्टिकल लोकेशन पर 12 घंटे के भीतर जियो की डेटा और वॉयस सेवाएं उपलब्ध कराई गई हैं।

इससे पहले आधिकारिक सूत्रों के अनुसार बताया गया था कि कल रात रोकी गई ऊर्ध्वाधर ड्रिलिंग भी फिर से शुरू हो गई है और आवश्यक 86 मीटर में से अब तक लगभग 43 मीटर ड्रिलिंग कार्य किया जा चुका है। बाकी काम में 40 से 50 घंटे और लग सकते हैं। 

समाचार एजेंसी एएनआई के अनुसार, पहाड़ी की चोटी से 1.2 मीटर व्यास वाले पाइप के लिए 43 मीटर ऊर्ध्वाधर ड्रिलिंग का काम पूरा हो गया है। बाकी काम पूरा होने में 40- 50 घंटे और लग सकते हैं। पहाड़ी की चोटी से 8 मिमी व्यास वाले पाइप के लिए 78 मीटर की ऊर्ध्वाधर ड्रिलिंग भी पूरी हो गई है। पाइपलाइन में मामूली समस्या होने के कारण आगे की ड्रिलिंग अस्थायी रूप से रोक दी गई है। सुरंग के अंदर मैनुअल ड्रिलिंग सुचारू रूप से चल रही है।

हालांकि, वर्टिकल ड्रिलिंग टीम के अधिकारियों ने कहा कि सुरंग के मुहाने से किए गए कार्य को अधिक व्यवहार्य बचाव विकल्प के रूप में देखा जाता है और यह वर्टिकल ड्रिलिंग की तुलना में तेजी से पूरा किया जाएगा। बचाव अभियान की निगरानी कर रहे उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने आज सुबह संवाददाताओं को बताया कि अब तक कुल मिलाकर लगभग 52 मीटर ड्रिलिंग कार्य किया जा चुका है।

मंगलवार सुबह मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी सिल्कयारा सुरंग पहुंचे थे, जहां उन्होंने अभियान का निरीक्षण किया। मीडिया से बात करते हुए सीएम पुष्कर सिंह धामी ने कहा था, ''सभी इंजीनियर, विशेषज्ञ और अन्य लोग पूरी ताकत से काम कर रहे हैं। अभी तक पाइप 52 मीटर अंदर तक चला गया है। जिस तरह से काम चल रहा है, हमें उम्मीद है कि जल्द ही कोई सफलता मिलेगी। जैसे ही पाइप अंदर जाएगा, उन्हें (श्रमिकों को) बाहर लाने की प्रक्रिया शुरू हो जाएगी। सभी लोग ठीक हैं।"

सीएम पुष्कर सिंह धामी ने कहा, "लगभग 52 मीटर काम हो चुका है (पाइप डाला गया है)। उम्मीद है कि 57 मीटर के आसपास सफलता मिलेगी। मेरे सामने 1 मीटर पाइप अंदर चला गया था, अगर 2 मीटर और डाला जाए तो इसमें लगभग 54 मीटर होगा। उसके बाद, एक और पाइप का उपयोग किया जाएगा। पहले स्टील गार्डर पाए जाते थे (ड्रिलिंग के दौरान), यह अब कम हो गया है। अभी, हमें कंक्रीट अधिक मिल रही है, इसे कटर से काटा जा रहा है।"

इससे पहले अधिकारियों ने बताया था कि चारधाम यात्रा मार्ग पर बन रही इस सुरंग के अवरूद्ध हिस्से में शेष बचे 10-12 मीटर के मलबे को साफ करने के काम में ‘रैट होल माइनिंग’ के इन विशेषज्ञों की मदद ली जा रही है। सुरंग में क्षैतिज ‘ड्रिलिंग’ कर रही 25 टन वजनी अमेरिकी ऑगर मशीन के शुक्रवार को मलबे में फंस जाने के बाद बचाव दलों ने वैकल्पिक रास्ता बनाने के लिए रविवार से लंबवत ‘ड्रिलिंग’ शुरू की।

बचाव कार्यों में सहयोग के लिए उत्तराखंड सरकार की ओर से नियुक्त नोडल अधिकारी नीरज खैरवाल ने सिलक्यारा में मीडिया को बताया कि तड़के तक मलबे के अंदर फंसे ऑगर मशीन के हिस्सों को काटकर निकाल दिया गया। उन्होंने कहा था कि ऑगर मशीन का हेड (सिरा) भी पाइप के अंदर फंसा हुआ था और अब उसे भी हटा दिया गया है। हालांकि, उन्होंने कहा कि मशीन के ‘हेड’ को निकालने के लिए कुल 1.9 मीटर पाइप को भी काटना पड़ा ।

खैरवाल ने बताया था कि उसके बाद सुरंग के मलबे के अंदर बारी-बारी से 220 मिमी, 500 मिमी और 200 मिमी लंबी यानी कुल 0.9 मीटर लंबी पाइप डाली गई। उन्होंने बताया कि काम शुरू हो गया है, लेकिन इसके पूरा होने की समयसीमा नहीं बतायी जा सकती। उन्होंने कहा कि भगवान से प्रार्थना है कि कठिनाइयां न आएं ताकि जल्द से जल्द श्रमिकों तक पहुंचा जा सके।

उन्होंने कहा कि ‘रैट माइनिंग’ तकनीक से हाथ से मलबा साफ किया जाएगा, लेकिन अगर कहीं सरिया या गर्डर या अन्य प्रकार की मुश्किलें आयीं तो मशीन से उसे काटा जाएगा और फिर मशीन से पाइपों को अंदर डाला जाएगा।

उधर, ‘रैट होल माइनिंग’ तकनीक की विशेषज्ञ दो टीम मौके पर पहुंच गयी थी। रैट होल माइनिंग एक विवादास्पद और खतरनाक प्रक्रिया है जिनमें छोटे-छोटे समूहों में खननकर्मी नीचे तंग गडढों में थोड़ी मात्रा में कोयला खोदने के लिए जाते हैं।

खैरवाल ने स्पष्ट किया कि मौके पर पहुंचे व्यक्ति ‘रैट होल’ खननकर्मी नहीं है बल्कि ये लोग इस तकनीक में माहिर हैं। इन लोगों को दो या तीन लोगों की टीम में विभाजित किया जाएगा। प्रत्येक टीम संक्षिप्त अवधि के लिए एस्केप पैसेज में बिछाए गए स्टील पाइप में जाएगी।

‘रैट होल’ ड्रिलिंग तकनीक के विशेषज्ञ राजपूत राय ने बताया कि इस दौरान एक व्यक्ति ड्रिलिंग करेगा, दूसरा मलबे को इकटठा करेगा और तीसरा मलबे को बाहर निकालने के लिए उसे ट्रॉली पर रखेगा। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के प्रमुख सचिव डॉ. पी के मिश्र ने सोमवार को सिलक्यारा पहुंचकर पिछले दो सप्ताह से फंसे श्रमिकों को बाहर निकालने के लिए चलाए जा रहे बचाव कार्यों का जायजा लिया।

गौरतलब है कि यमुनोत्री राष्ट्रीय राजमार्ग पर बन रही सिलक्यारा सुरंग का एक हिस्सा 12 नवंबर को ढह गया था जिसके कारण उसमें काम कर रहे 41 श्रमिक फंस गए थे। उन्हें बाहर निकालने के लिए युद्ध स्तर पर बचाव अभियान चलाया जा रहा है।

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