उत्तर प्रदेश सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से कहा है कि वह गैंगस्टर विकास दुबे और उसके गुर्गों के एनकाउंटर पर अपनी स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करेगी। कोर्ट ने इस बात के भी संकेत दिए हैं कि मामले की जांच के लिए एक आयोग का गठन किया जाएगा।
मंगलवार को चीफ जस्टिस एस ए बोबडे की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि वह किसी पूर्व जस्टिस की अध्यक्षता में विकास दुबे और उसके सहयोगियों के हुए एनकाउंटर के अलावा गैंगस्टर द्वारा डीएसपी समेत आठ पुलिसकर्मी की हुई हत्या मामले में एक आयोग का गठन कर सकती है। मामले की अगली सुनवाई 20 जुलाई को होगी।
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एडवोकेट घनश्याम उपाध्याय द्वारा कोर्ट में दायर की गई दलील में एफआईआर दर्ज करने की मांग की गई। याचिकाकर्ता ने कोर्ट से अपनी निगरानी में सीबीआई द्वारा हुए एनकाउंटर की जांच करने की मांग की। इस मामले में पुलिस अधिकारियों के विकास दुबे के साथ सांठ-गांठ होने के आरोप हैं। चौबेपुर थाने के पुलिस अधिकारी विनय तिवारी के विकास दुबे के साथ संबंध होेने के आरोप की जांच करने के आदेश दे दिए गए हैं।
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तीन जुलाई को कानपुर के कुख्यात हिस्ट्रीशीटर विकास दुबे को पकड़ने गई यूपी पुलिस की एक टीम पर ताबड़तोड़ फायरिंग की गई थी। जिसमें आठ पुलिसकर्मी शहीद हो गए थे। जिसके बाद विकास दुबे के कई गुर्गों को एनकाउंटर में मार दिया गया। जिसके बाद 10 जुलाई को विकास दुबे को भी उज्जैन से कानपुर ले जाने के दौरान हुए एनकाउंटर में मार दिया गया। पुलिस के मुताबिक जब उसे महाकाल की नगरी उज्जैन से गिरफ्तार कर यूपी एसटीएफ की टीम कानपुर ला रही थी, तभी कानपुर के आस-पास गाड़ी पलट गई और इसी दौरान विकास दुबे भागने की कोशिश करने लगा। इसी क्रम में पुलिस ने उसका एनकाउंटर कर दिया। हालांकि, एनकाउंटर के बाद पुलिस पर गंभीर आरोप लगाए गए और कहा गया कि ये एक पहले से रची गई साजिश थी और पुलिस ने उसे खत्म करने का पहले से ही मन बना लिया था।