नए साल के मौके पर महाराष्ट्र के पुणे जिले में भीमा-कोरेगांव की लड़ाई की 200वीं सालगिरह पर आयोजित एक कार्यक्रम के दौरान हिंसक झड़प हुई। इस दौरान एक व्यक्ति की मौत होने से पूरे इलाके में तनावपूर्ण स्थिति पैदा हो गई।
यहां दलित संगठनों द्वारा पेशवा बाजीराव द्वितीय की सेना पर जीत को लेकर शौर्य दिवस मनाया जा रहा था। इस युद्ध में अंग्रेजों ने तब अछूत माने जाने वाले महार समुदाय को साथ लेकर पेशवा को हराया था। यह युद्ध 1 जनवरी, 1818 को लड़ा गया था। वहीं दक्षिणपंथी समूह इसे 'अंग्रेजों की जीत' का जश्न बताकर इसका विरोध कर रहे हैं।
पुणे से करीब 30 किलोमीटर दूर पुणे-अहमदनगर हाइवे के पास यह विवाद हुआ, जिसमें 25 से अधिक गाड़ियां जला दी गईं और 50 से ज्यादा गाड़ियों में तोड़-फोड़ भी की गई। सोमवार को रिपब्लिक पार्टी ऑफ इंडिया (अठावले) ने कोरेगांव भीमा युद्ध के 200 साल पूरे होने पर यह विशेष कार्यक्रम आयोजित कराया था।
महाराष्ट्र के सीएम देवेन्द्र फडणवीस ने कहा, "भीमा-कोरेगांव की लड़ाई की 200वीं सालगिरह पर करीब तीन लाख लोग आए थे। हमने पुलिस की 6 कंपनियां तैनात की थी। कुछ लोगों ने माहौल बिगाड़ने के लिए हिंसा फैलाई। इस तरह की हिंसा को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा, हमने न्यायिक जांच के आदेश दिए हैं। मृतक के परिवार वालों को 10 लाख का मुआवजा दिया जाएगा।
Request will be made to SC for judicial inquiry in Koregaon violence matter and CID inquiry will also be conducted on the death of the youth. 10 lakh compensation for victim's kin: Maharashtra CM Devendra Fadnavis pic.twitter.com/UdtDuYcQwN
— ANI (@ANI) January 2, 2018
हिंसा के मद्देनजर अठावले ने की दलितों के लिए पुलिस सुरक्षा की मांग
पीटीआई के मुताबिक, केन्द्रीय सामाजिक न्याय और अधिकारिता राज्य मंत्री रामदास आठवले ने सोमवार को पुणे जिले में भीम कोरेगांव की लड़ाई की 200वीं वर्षगांठ के अवसर पर हुए हिंसा के मद्देनजर दलितों के लिए पुलिस सुरक्षा की मांग की।रामदास अठावले ने कहा कि कोरेगांव के निकट स्थित सानस्वाडी गांव के पास वाहनों से भीमा- कोरेगांव गांव में आने वाले दलित समूहों को रोक दिया गया। उन पर पत्थर फेंका गया। उनकी सुरक्षा के लिए वहां कोई पुलिस बल तैनात नहीं था।
उन्होंने महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस से भीमा-कोरेगांव में अतिरिक्त पुलिस बल तैनात करने और दलित समुदाय के सदस्यों को सुरक्षा प्रदान करने की अपील की। साथ ही, उन्होंने इस घटना की जांच की भी मांग की।
रामदास अठावले ने सीएम फडणवीस से अपील की, अपराधियों के खिलाफ कार्रवाई की जानी चाहिए ताकि ऐसी घटनाएं दोबारा न हो सकें।
Spoke to Maharashtra CM, demand that this matter should be inquired; action must be taken against the culprits so that such incidents don't recur: Union Minister Ramdas Athawale on violence between two groups during an event to mark 200 years of Bhima Koregaon battle near Pune pic.twitter.com/IFUTj752wr
— ANI (@ANI) January 2, 2018
200 साल में ऐसा कभी नहीं हुआ- शरद पवार
दलितों पर हुई हिंसा को लेकर मंगलवार को शरद पवार ने कहा, "लोग वहां 200 साल से जा रहे हैं। ऐसा कभी नहीं हुआ। सभी को उम्मीद थी कि 200वीं सालगिरह पर ज्यादा लोग जुटेंगे। इस मामले में ज्यादा ध्यान देने की जरूरत है।"
Ppl have been going there for last 200 yrs, nothing like this ever happened. It was expected that more ppl will be there on 200th anniversary. More attention was needed in the matter: Sharad Pawar on alleged violence with Dalits on 200th anniversary of Bhima Koregaon battle #Pune pic.twitter.com/zmzWrGOe9q
— ANI (@ANI) January 2, 2018
क्या है भीमा-कोरेगांव की लड़ाई
बता दें कि 1 जनवरी 1818 में भीमा-कोरेगांव की लड़ाई में ईस्ट इंडिया कंपनी की सेना ने पेशवा बाजीराव द्वितीय की सेना को हराकर जीत दर्ज की थी। दलित नेता इस ब्रिटिश जीत का जश्न मनाते हैं क्योंकि तब अछूत समझे जाने वाले महार समुदाय के सैनिक ईस्ट इंडिया कंपनी की सेना की ओर से लड़े थे। हालांकि, पुणे में कुछ दक्षिणपंथी समूह इसे 'ब्रिटिश जीत' बता रहे हैं और इसका विरोध कर रहे हैं।
दशकों पहले अंग्रेजों ने भीमा-कोरेगांव में अपनी जीत के स्मरण में जयस्तंभ का निर्माण कराया था। बाद में यह दलितों का प्रतीक बन गया। हर साल हजारों की संख्या में दलित समुदाय के लोग यहां आकर श्रद्धांजलि देते हैं।
कार्यक्रम में जा रहे लोग और स्थानीय समूह में हुई झड़प
एक शीर्ष पुलिस अधिकारी ने बताया कि हिंसा में एक व्यक्ति की मौत हुई है। हालांकि, उसकी पहचान और कैसे उसकी मौत हुई इसका अभी ठीक-ठीक पता नहीं चला है। हिंसा तब शुरू हुई जब एक स्थानीय समूह और भीड़ के कुछ सदस्यों के बीच स्मारक की ओर जाने के दौरान किसी मुद्दे पर बहस हुई।
भीमा कोरेगांव की सुरक्षा के लिये तैनात एक पुलिस अधिकारी ने बताया कि बहस के बाद पथराव शुरू हुआ। हिंसा के दौरान कुछ वाहनों और पास में स्थित एक मकान को क्षति पहुंचाई गई। उन्होंने बताया कि पुलिस ने घटना के बाद कुछ समय के लिये पुणे-अहमदनगर राजमार्ग पर यातायात रोक दिया। उन्होंने बताया कि गांव में अब हालात नियंत्रण में है।
अधिकारी ने बताया कि राज्य रिजर्व पुलिस बल की कंपनियों समेत और पुलिसकर्मियों को तैनात किया गया है। उन्होंने बताया कि मोबाइल फोन नेटवर्क को कुछ समय के लिए अवरूद्ध कर दिया गया ताकि भड़काउ संदेशों को फैलाने से रोका जा सके।
ये लोग थे कार्यक्रम में मौजूद
इस कार्यक्रम में दलित नेता एवं गुजरात से नवनिर्वाचित विधायक जिग्नेश मेवाणी, जेएनयू छात्र नेता उमर खालिद, रोहित वेमुला की मां राधिका, भीम आर्मी अध्यक्ष विनय रतन सिंह और पूर्व सांसद एवं डा. भीमराव अंबेडकर के पौत्र प्रकाश अंबेडकर भी उपस्थित थे. घटना के बाद सभी ने बीजेपी पर आरोप लगाए।
रैली के विरोध को देखते हुए की गई थी भारी सुरक्षा
कार्यक्रम वाली जगह पर भारी सुरक्षा की गई थी, क्योंकि ग्रामीण इस रैली का विरोध कर रहे थे। आईजीपी (कोल्हापुर रेंज) विश्वास नांगरे-पाटिल ने बताया कि इलाके में सोमवार सुबह से ही तनावपूर्ण माहौल था। कार्यक्रम वाली जगह पर जब कुछ लोग भगवा तिरंगा लेकर पहुंचे तो विवाद हो गया। बाद में ग्रामीणों ने हाइवे में आठ गाड़ियां जला दीं और जमकर पथराव किया। इस वजह से हाइवे के दोनों तरफ काफी देर के लिए यातायात बाधित हो गया।
सीआरपीएफ की तैनाती
पुलिस ने बताया कि मृतक का शव परीक्षण के लिए भेज दिया गया है। ग्रामीणों द्वारा जलाई गई गाड़ियों में बस और पुलिस वैन सहित कई चारपहिया वाहन शामिल हैं। कोरेगांव के पास स्थित सनसवड़ी में सबसे ज्यादा नुकसान हुआ। सीआरपीएफ की दो टुकड़ियों को शिकरापुर स्टेशन में सोमवार सुबह तैनात किया गया है ताकि आगे की घटनाओं को रोका जा सके।