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कोरोना के आगे VVIP भी बेबस, कोई अपने साला को नहीं दिला पा रहा बेड तो कोई लखनऊ से मंगवा रहा दवा

पाकिस्‍तान सीमा से लगे एक प्रदेश में डीजी रैंक के एक अधिकारी ने रांची जिला प्रशासन के आला अधिकारी को...
कोरोना के आगे VVIP भी बेबस, कोई अपने साला को नहीं दिला पा रहा बेड तो कोई लखनऊ से मंगवा रहा दवा

पाकिस्‍तान सीमा से लगे एक प्रदेश में डीजी रैंक के एक अधिकारी ने रांची जिला प्रशासन के आला अधिकारी को फोन मिलाया। डीजी साहब के साले को कोराना संक्रमण हो गया है। एक बेड की दरकार थी। इंतजाम नहीं हो सका। साले साहब के साथ अब उनकी पत्‍नी और बहू भी संक्रमित। साले साहब के साल-दो साल के छोटे-छोटे दो पोते हैं। बेटे को बाहर से बुलवा लिया है। साहब आइसोलेशन में घर पर। बेटा नीचे के घर में। खुद की स्थिति गंभीर है। मां से अलग छोटे-छोटे बच्‍चों और मरीजों को संभाले तो कौन। एक दिन पहले की बात है बिहार में विशेष सचिव पद से अवकाश प्राप्‍त अधिकारी ( उनकी पत्‍नी भी समकक्ष पद पर अधिकारी थीं) का साला रांची के निजी आधुनिकतम अस्‍पताल में भर्ती। उसके प्रबंधक भी प्रभाव के मामले में बहुत प्रभावशाली, बाजार से प्रशासन तक। अस्‍पताल में दवा नहीं थीं। पटना में भी दवा नहीं मिली। तो अपने संपर्कों के हवाले रांची को भी टटोला। दवा नहीं मिली। अंतत: लखनऊ में दवा मिली और 24 घंटे के भीतर रांची पहुंचाया गया। रांची के डिप्‍टी मेंयर के चाचा पीड़‍ित थे। अस्‍पतालों, अधिकारियों को फोन कर और संपर्क कर के हार गये। अधिकारियों ने फोन तक नहीं उठाया, अस्‍पतालों ने कहा जगह नहीं है। अंतत: चाचा जी चले गये।

25 किताबों के लेखक गिरधारी राम गौंझू को भी नौ अस्‍पतालों का चक्‍कर लगाने के बावजूद बेड नहीं मिला और उन्‍होंने दुनिया को अलविदा कह दिया। दिल को झकझोर देने वाली इस तरह की अनेक घटनाएं हैं कोरोना काल में। कोरोना अब लोगों को डराने लगा है। सरकारी हों या निजी, अस्‍पतालों में न बेड है न ऑक्‍सीजन न आवश्‍यक दवाएं। मुख्‍यमंत्री आवास से राजभवन तक इसकी घुसपैठ हो गयी है। दो दिन पहले संक्रमण के बाद राज्‍यपाल द्रौपदी मुर्मू निजी अस्‍पताल में एडमिट होने के बाद वापस राजभवन में आइसोलेशन में हैं। मुख्‍यमंत्री का पुत्र भी कोरोना संक्रमण का शिकार है। मुख्‍यमंत्री के आवासीय कार्यालय के अनेक अधिकारी, कर्मचारी संक्रमित। अनेक अधिकारी संक्रमण के कारण बे समय चले गये। दवाओं की हालत यह है कि मांग के हिसाब से दवा कंपनियों ने झारखण्‍ड के साथ पक्षपात किया तो 50 हजार रेमडेसिविर के लिए विदेश यानी बंगलादेश की कंपनी को ऑडर करना पड़ रहा है। मुख्‍यमंत्री ने इसके लिए केंद्र से अनुमति मांगी है।

जिंदगी हारने के बाद भी नरक

सोमवार को ही झारखंड में 4290 और राजधानी रांची में 1404 संक्रमित मिले। पूरे प्रदेश में 46 लोगों की कोरोना से मौत हुई। झारखण्‍ड को एक सामान्‍य राज्‍य नहीं कम आबादी वाले छोटे से राज्‍य के रूप में तुलना करेंगे तो गंभीरता समझ में आयेगी। और इन सरकारी आंकड़ों से इतर श्‍मशान और कब्रिस्‍तानों में रोज कोविड के गाइडलाइन के तहत अंतिम संस्‍कार और दफन किये जाने वालों की संख्‍या इससे कहीं बहुत अधिक है। सोमवार को ही नामकुम के घाघरा घाट पर अंतिम संस्‍कार के लिए शव दले एंबुलेंसों की लंबी कतार थी। लकड़ी खत्‍म। बद इंतजामी के कारण सात-सात घंटे तक लोगों को इंतजार करना पडा। चालकों का गुस्‍सा फूटा तो सड़क पर उतर कम जाम लगा दिया। लकड़‍ियां पहुंचने के बाद सामूहिक तौर पर चिता सजा अंतिम संस्‍कार की औपचारिकता पूरी हुई। सोमवार को सिर्फ रांची के श्‍मशानों और कब्रिस्‍तानों में 93 लोगों का अंतिम संस्‍कार हुआ। जबकि सोमवार रात जारी सरकारी आंकड़ों के अनुसार रांची में कोरोना से सिर्फ 14 लोगों की मौत हुई थी।

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