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व्यापम घोटाला: कोर्ट की शरण में राज्यपाल

मध्यप्रदेश उच्च न्यायालय ने व्यापमं घोटाले में राज्य के राज्यपाल रामनरेश यादव के खिलाफ दर्ज प्राथमिकी निरस्त करने के लिये दायर याचिका पर आज अटार्नी जनरल मुकुल रोहतगी से राय मांगी। प्राथमिकी निरस्त कराने के लिये दायर याचिका में राज्यपाल ने तर्क दिया है कि संवैधानिक पद पर होने के कारण उन्हें संरक्षण प्राप्त है।
व्यापम घोटाला: कोर्ट की शरण में राज्यपाल

मुख्य न्यायाधीश ए एम खानविलकर और न्यायमूर्ति अलोक अराधे की खंडपीठ ने अटार्नी जनरल से राय मांगने के साथ ही करोड़ों रूपए के इस घोटाले में राज्य सरकार, व्यापम घोटाले की जांच करे एसटीएफ और इस जांच की निगरानी कर रहे विशेष जांच दल को भी नोटिस जारी किये गये हैं।

प्रदेश के राज्यपाल रामनरेश यादव के खिलाफ व्यावसायिक परीक्षा मंडल द्वारा आयोजित वन रक्षक परीक्षा घोटाले के सिलसिले में प्राथमिकी दर्ज की गयी है।

वरिष्ठ अधिवक्ता राम जेठमलानी, वरिष्ठ अधिवक्ता आदर्श मुनी त्रिवेदी, महेन्द्र पटेरिया तथा आशीष त्रिावेदी ने अदालत से कहा कि उनके मुवक्किल प्रकरण के संबंध में एसटीएफ को सभी जानकारी देने के लिये तैयार है। इस पर अदालत ने एसटीएफ से राज्यपाल के साथ सम्मानपूर्वक व्यवहार करने और उनके खिलाफ कोई कठोर कार्रवाही नहीं करने के निर्देश दिये।

आशीष त्रिावेदी ने भाषा को बताया कि अदालत ने एसटीएफ को राज्यपाल के साथ सम्मानपूर्वक व्यवहार करने तथा कोई कठोर कार्रवाई नहीं करने को कहा है।

जेठमलानी, त्रिवेदी और अन्य अधिवक्ताओं ने अदालत में कहा कि भारतीय संविधान की धारा 361 (2) एवं (3) के तहत संवैधानिक पद पर रहते हुए राज्यपाल के खिलाफ कार्रवाई नहीं की जा सकती है और उनके खिलाफ दर्ज एफआइआर की कार्रवाई पूरी तरह गैरकानूनी है।

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