तृणमूल कांग्रेस प्रमुख और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने शहीद दिवस के मौके पर शनिवार को बीजेपी सरकार पर जमकर हमला बोला। इसी के साथ उन्होंने आगामी 15 अगस्त से 2019 में होने वाले लोकसभा चुनाव के लिए लड़ाई का ऐलान किया है।
शहीद दिवस के मौके पर आयोजित रैली में जहां ममता ने कहा कि वह बीजेपी के खिलाफ आंदोलन की शुरुआत करने जा रही हैं। इस मौके पर पिछले दिनों अपनी पार्टी भाजपा से इस्तीफा दे चुके वरिष्ठ नेता और पूर्व राज्यसभा सांसद चंदन मित्रा टीएमसी में शामिल हो गए।
15 अगस्त से 'बीजेपी हटाओ, देश बचाओ' अभियान की शुरूआत
न्यूज़ एजेंसी एएनआई के मुताबिक, तृणमूल कांग्रेस की शहीद दिवस रैली के मौके पर ममता बनर्जी ने घोषणा की कि वह 15 अगस्त से 'बीजेपी हटाओ, देश बचाओ' अभियान की शुरूआत करेंगी, जो 2019 में भाजपा के लिए एक बड़ा झटका होगा, आगे के लिए बंगाल मार्ग दिखाएगा।
रैली में ममता ने कहा कि जिस तरह से देश में हर जगह मॉब लिंचिंग हो रही है, वे (बीजेपी) लोगों के बीच तालिबान बना रहे हैं। बीजेपी और आरएसएस में कुछ अच्छे लोग हैं जिनका मैं सम्मान करती हूं लेकिन कुछ लोग गंदे खेल खेल रहे हैं।
मिदनापुर में पीएम ने बोला था हमला
ममता ने लोकसभा की सभी 42 सीटें जीतने का दावा भी किया। उन्होंने कहा कि पश्चिम बंगाल देश का बदला लेगा। बता दें कि कुछ दिन पहले ही पीएम मोदी ने पश्चिम बंगाल के मिदनापुर जिले में रैली संबोधित करते हुए टीएमसी सरकार पर जबरदस्त धावा बोला था। पीएम मोदी ने यहां राज्य सरकार को सिंडिकेट कहकर संबोधित किया था।
टीएमसी में चंदन मित्रा समेत शामिल हुए ये नेता
रैली में पूर्व राज्यसभा सांसद चंदन मित्रा, पूर्व सीपीएम सांसद मोईनुल हसन, कांग्रेस नेता यास्मिन और मिजोरम के एडवोकेट जनरल विश्वजीत देब टीएमसी में शामिल हुए। दो बार के राज्यसभा सांसद व बीजेपी राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य चंदन मित्रा ने कुछ दिनों पहले पार्टी से इस्तीफा दे दिया था। मित्रा बिहार व पश्चिम बंगाल में पार्टी के प्रभारी भी रह चुके हैं। मित्रा ने 2014 में हुगली सीट से लोकसभा चुनाव भी लड़ा था। हारने पर भी उन्होंने दो लाख से ज्यादा वोट हासिल किए थे।
मित्रा को बीजेपी ने नहीं दी ज्यादा तवज्जो
चंदन मित्रा के भाजपा से बाहर जाने को पार्टी ने ज्यादा तरजीह नहीं दी है। वैसे भी लंबे समय से मित्रा भाजपा में अलग-थलग चल रहे थे। भाजपा के एक प्रमुख नेता ने कहा कि पार्टी छोड़ने वाले को रोका नहीं जाता है। जो सिद्धांतों से बंधे हैं वे पार्टी के साथ हैं।
चंदन मित्रा को पार्टी ने भरपूर सम्मान दिया, लेकिन वे छोड़ रहे हैं, यह उनका फैसला है। मित्रा ने भी पार्टी को लेकर कोई नाराजगी नहीं जताई है। मित्रा को पार्टी में आडवाणी खेमे का माना जाता था।