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जब ‘आधार’ की मदद से अपने परिवार तक पहुंचा ये बुजुर्ग, भूल गया था घर का रास्ता

80 वर्षीय भासी जब एक सरकारी बस में सवार होकर यात्रा पर निकले थे उस वक्त उनकी जेब में चंद नोटों के अलावा और...
जब ‘आधार’ की मदद से अपने परिवार तक पहुंचा ये बुजुर्ग, भूल गया था घर का रास्ता

80 वर्षीय भासी जब एक सरकारी बस में सवार होकर यात्रा पर निकले थे उस वक्त उनकी जेब में चंद नोटों के अलावा और कुछ नहीं था। उन्हें सिर्फ यह बात याद थी कि उन्हें एक हनुमान मंदिर के निकट उतरना है और वह बार-बार इसी बात को दोहरा रहे थे। लेकिन भूलने की बीमारी के कारण उन्हें अपना स्थान या अपने परिवार के सदस्यों का नाम याद नहीं था।

आखिरकार ‘आधार’ काम आया जिसकी मदद से वह 26 मई को तिरूवनंतपुरम में अपने परिवार से मिल सके। करमाना के सब पुलिस इंस्पेक्टर आर एस श्रीकांत ने न्यूज़ एजेंसी पीटीआई  को बताया, ‘वह काफी कमजोर थे। वह भूलने की समस्या से भी ग्रस्त थे और उनके पांव में सूजन थी। उन्हें अपना घर का पता भी कुछ याद नहीं था।’

उन्होंने बताया, ‘संयोगवश, वह आधार कार्ड धारक थे और हमने बिना समय गंवाए उनकी उंगलियों के निशान से उनका पता और अन्य ब्यौरे का पता लगा लिया।’ शहर के बाहरी इलाके में स्थित थूनगंपारा के निवासी भासी उसी दिन सुबह केएसआरटीसी बस में सवार हुए थे। उन्होंने करमाना का टिकट लिया था। हालांकि वह स्टॉप पर उतरने को तैयार नहीं थे।

बस कंडक्टर के बार-बार आग्रह किए जाने के बावजूद बुजुर्ग ने कहा कि वह वहां उतरना चाहते है जहां एक मंदिर है। इंस्पेक्टर श्रीकांत ने कहा, ‘बस कंडक्टर से सूचना मिलने के बाद पुलिस घटनास्थल पर उतरी और उनसे कुछ जानकारी हासिल करने का प्रयास किया। लेकिन उनके कोई जवाब नहीं देने के कारण हमारे सभी प्रयास विफल गए।’

हालांकि बाद में पुलिस उन्हें नजदीक के सरकारी आईसीटी सेवा प्रदाता अक्षय सेन्टर ले गई और अंगुलियों के निशान से यह पता लगाने का प्रयास किया कि क्या उनका आधार कार्ड बना है। इसके बाद उनके ‘आधार’ का पता लगने के बाद फिर उनके परिवार के सदस्यों से संपर्क किया गया।

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