पशुपालन घोटाला मामले में सजायाफ्ता बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री, राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद के सामने अजीब संकट है। जेल गये तो बीमार पड़ गये। नजीता रहा कि 2017 से उनका अधिकांश समय जेल के बदले इलाज के सिलसिले में रिम्स ( राजेंद्र आयुर्विज्ञान संस्थान) रांची में ही गुजरा। उम्र के साथ बीमारी का सीधा वास्ता है।
72 साल के लालू प्रसाद को हृदय, शुगर, किडनी आदि से जुड़ी बीमारी है। रह-रह कर शुगर व बीपी में अनियंत्रित उतार चढ़ाव होता रहता है। रिम्स में भी थे तो पूरे एक फ्लोर पर इनका और सुरक्षाकर्मियों का कब्जा था , कोई 18 कमरों पर। दूसरे मरीज नहीं थे। कोविड 19 का खतरा बढ़ा तो इसी माह पांच अगस्त को इन्हें रिम्स निदेशक के तीन एकड़ के आवास, केली बंगला, में शिफ्ट कर दिया गया। अब यहां भी उन्हें राहत नहीं है।
उनकी सुरक्षा के तैनात नौ पुलिसकर्मियों में कोरोना पॉजिटिव पाया गया। सुरक्षाकर्मियों के संक्रमित पाये जाने के बाद रिम्स अधीक्षक ने उन जवानों को हटा दिया और डीसी को रिपोर्ट भेज दी गई। सवाल यह है कि इस तरह उनके ईदगीर्द कोरोना संक्रमण का खतरा बढ़ा रहा तो अब उन्हें कहां स्थानांतरित किया जायेगा।
एक बात तो तय है कि उनकी उम्र और विभिन्न तरह की बीमारी के कारण कोरोना संक्रमण के डेंजर जोन में हैं। इसके पहले भी उनकी सुरक्षा में तैनात जवान जब बिहार अपने गांव से लौटा तो कोरोना पॉजिटिव पाया गया। उसके बाद उसकी सेवा नहीं ली गई। सुरक्षा में तैनात एक एएसआइ की रांची में ही पत्थरों से कूचकर हत्या कर दी गई थी ,जांच में वह भी पॉजिटिव पाया गया था। हत्या के एक दिन पहले तक उसने ड्यूटी की थी। उसी दौरान उनके तीन सेवक भी कोरोना पॉजिटिव पाये गये थे। झारखंड में जब तक भाजपा की सरकार रही, लालू प्रसाद से मुलाकात करने का दिन और मिलने वालों की संख्या निर्धारित थी। हेमंत सरकार के आने के बाद इसमें थोड़ी ढील रही, जिसे लेकर विवाद भी होता रहा। यह बदपरहेजी खुद लालू प्रसाद की सेहत के लिए भी ठीक नहीं।
फिलहाल लालू प्रसाद को सिर्फ चिंता सिर्फ कोरोना को लेकर नहीं है। कोरोना संक्रमण को लेकर उनके चिकित्सक परेशान हैं तो बिहार में पार्टी के भीतर चल रही गतिविधियों से लालू प्रसाद परेशान हैं। बिहार जहां लालू प्रसाद की पार्टी राजद का मूल जनाधार है, इसी साल चुनाव है। यहां से वे ठीक से ऑपरेशन करने की स्थिति में नहीं हैं। बिहार विधानसभा का कार्यकाल 29 नवम्बर को समाप्त हो रहा है। उसके पहले चुनाव करा लिये जाने हैं। जेल की सजा के कारण इनकी सीमाएं हैं इस बीच पार्टी का बिकेट धड़ाधड़ गिर रहा है। गुरुवार को उनके समधी पूर्व मंत्री चंद्रिका राय( पूर्व मुख्यमंत्री दरोगा राय के पुत्र), सहित तीन विधायकों , यादवों के पोप कहे जाने वाले शेरे बिहार रामलखन सिंह यादव के पोते जयवर्धन, पूर्व केंद्रीय मंत्री अली अशरफ फातमी के पुत्र विधायक फेराज फातमी ने जदयू का दामन थाम लिया। इसके पहले राजद महागठबंधन में शामिल पूर्व मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी ने अपनी पार्टी हम की बैठक कर महागठबंधन से किनारा कर लिया। हाल में राजद के छह विधायक और पांच एमएलसी राजद से किनारा कर चुके हैं। लालू प्रसाद के करीबी बताते हैं कि चुनाव सिर पर है ऐसे में उन्हें कोरोना के संक्रमण से कम और अपने लोगों के पार्टी से किनारा करते जाने के कारण ज्यादा चिंता सता रही है।