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मुंबई मेें सरकार को चुनौती देता किसानों का हुजूम, देखें तस्वीरें

वो जिसके हाथ में छाले हैं, पैरों में बिवाई है उसी के दम से रौनक आपके बंगले में आई है  किसानों की बात आते...
मुंबई मेें सरकार को चुनौती देता किसानों का हुजूम, देखें तस्वीरें

वो जिसके हाथ में छाले हैं, पैरों में बिवाई है

उसी के दम से रौनक आपके बंगले में आई है 

किसानों की बात आते ही अदम गोंडवी की यह लाइन याद आती है। किसानों को सिर्फ 'अन्नदाता' कहकर औपचारिक सम्मान देने तक सीमित कर दिया गया है इसलिए वो सड़कों पर उतरे हैं। 

कर्ज माफी और उचित मुआवजे की मांगों के साथ करीब 35 हजार किसानों का मोर्चा मुंबई पहुंच चुका है। नासिक से 200 किमी तक ये किसान पैदल चलकर आए हैं। अभी वह मुंलुंड से आगे बढ़ रहे हैं और आज रात सोमैया मैदान तक पहुंच जाएंगे। कल यानी 12 मार्च को किसानों ने महाराष्ट्र की विधानसभा के घेराव का ऐलान किया है। भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (भाकपा) के किसान मोर्चे अखिल भारतीय किसान सभा (एआईकेएस) की अगुवाई में यह विरोध मार्च मंगलवार को नासिक से मुंबई के लिए रवाना हुआ था।

माकपा की तरफ से सीताराम येचुरी ने कहा कि किसान इसलिए मार्च कर रहे हैं ताकि भाजपा सरकार उन्हें दोबारा धोखा न दे।

काफिला मुंबई पहुंचने पर कुछ लोगों को पानी, बिस्किट और फूलों से किसानों का स्वागत करते देखा गया।

शिवसेना ने किसानों का समर्थन किया है। शिवसेना के आदित्य ठाकरे ने किसानों से मुलाकात की।


किसानों ने उचित मुआवजे और ऋण माफी की मांग को लेकर 12 मार्च को विधानसभा के बाहर प्रदर्शन करने को योजना बनाई है। एआईकेएस के राज्य महासचिव अजित नवले ने कहा कि ये किसान सरकार की ओर से उनसे किए गए वादों को लागू नहीं करने को लेकर जवाब मांगेंगे। नवले ने बताया, "राज्य के किसान कृषि संकट से जूझ रहे हैं और वे भारी वित्तीय बोझ के तले दबे हैं। सरकार ने उन्हें राहत पहुंचाने के लिए कुछ नहीं किया है, इसलिए उनके पास विरोध मार्च के माध्यम से अपने आक्रोश को व्यक्त करने के अलावा कोई चारा नहीं है।"

नवले ने कहा कि किसानों की 180 किलोमीटर लंबी पदयात्रा में शुरू में 12,000 किसान शामिल थे, जिसमें अब 30,000 से ज्यादा किसान शामिल हो चुके हैं, जो किसानों के बीच असंतोष की तीव्रता को दर्शाता है। उन्होंने कहा जिस तरीके से किसान इससे जुड़ रहे हैं अपने गंतव्य तक पहुंचते-पहुंचते विरोध प्रदर्शन में शामिल किसानों की संख्या 55,000-60,000 हो जाएगी। एआईकेएस की प्रमुख मांगों में ऋण का पूर्ण अधित्याग और कृषि लागत का 1.5 गुणा लाभ दिलवाना शामिल है। ये किसान स्वामीनाथन समिति की सिफारिशों को तुरंत लागू करने की मांग कर रहे हैं, जो उचित पारिश्रमिक सुनिश्चित करता है।



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